महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के हवाले से सामने आया है कि सिविल सेवा अधिकारी ने चयन प्रक्रिया में छूट के लिए संघ लोक सेवा आयोग को सौंपे हलफनामे में खुद को दृष्टिहीन और मानसिक रूप विकलांग होने का दावा किया. खेडकर ने मेडिकल परीक्षण से छह बार इनकार भी किया था. उनका पहला मेडिकल टेस्ट अप्रैल 2022 को एम्स में निर्धारित किया गया था पर कोविड-19 पॉजिटिव टेस्ट दिखा कर बच गई थीं. अगले महीने भी उन्होंने जुलाई और अगस्त के मेडिकल टेस्ट को छोड़ दिया. सिंतबर में छठे टेस्ट के लिए वे गईं तो पर ब्लांइनेस टेस्ट ही नहीं करवाई.
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आयोग ने खेडकर के चयन को चुनौती दी और फरवरी 2023 में न्यायाधिकरण में पूजा के खिलाफ फैसला सुनाया. बावजूद इसके उन्होंने अपनी नियुक्ति को बचाए रखने में सफलता हासिल की. अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि अगर खेडकर सच में मेडिकल टेस्ट में शामिल नहीं हुई तो उनकी नियुक्ति कैसे हुई. मेडिकल टेस्ट अनिवार्य है. खेडकर के ओबीसी वर्ग के आरक्षण को लेकर भी सवाल उठते रहते हैं.
पहले भी विवादों में रह चुकी हैं खेडकर
खेडकर एक बार पुणे में पदस्थ थी. उस वक्त वे अपनी निजी ऑडी गाड़ी पर भी महाराष्ट्र सरकार का नंबर प्लेट, सायरन और वीआईपी नंबर प्लेट का इस्तेमाल करती थी. मामला सामने आया तो उनकी पोस्टिंग पुणे से वाशिम कर दी गई. पुणे कलेक्टर सुहास दिवासे ने खेडकर की पुन नियुक्ति के लिए महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा था.
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इसके अलावा, खेडकर को पुणे के अतिरिक्त कलेक्टर अजय मोरे के कार्यालय का इस्तेमाल करते भी पाया गया था. जब वे बाहर थे. खेडकर ने कथित तौर पर उनकी नेमप्लेट और फर्नीचर हटा दिया था. उन्होंने लेटर हेड की भी मांग की थी. बता दें, यह सुविधा उन जूनियर अधिकारियों को नहीं मिलती, जो 24 महीने की प्रोबेशन पर होते हैं.
Source : News Nation Bureau