भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शिव सेना (Shiv Sena) के लंबे समय से चले गठबंधन के टूटने का असर अब दिखाई पड़ रहा है. केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने अपने ताजा फैसले से मौजूदा महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका दे दिया है. दरअसल, मोदी सरकार ने इंटरेनशनल फाइनेंशियल सर्विस सेंटर (International Financial Services Centre-IFSC) को महाराष्ट्र से हटाकर अब गुजरात में बनाने का फैसला किया है. केंद्र सरकार ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. सरकार के इस फैसले से महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका लगा है क्योंकि मुंबई में IFSC का सेंटर बनने का दावा किया जा रहा था.
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IFSC के गांधीनगर में स्थापित करने के फैसले पर विवाद बढ़ा
केंद्र सरकार के अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) का मुख्यालय मुंबई के बजाय गुजरात के गांधीनगर में स्थापित करने के फैसले को लेकर विवाद छिड़ गया है. केंद्र के इस फैसले के खिलाफ सत्ताधारी कांग्रेस और शिवसेना तथा विपक्षी दल के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है. महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख और राजस्व मंत्री बाला साहेब थोराट ने शनिवार को ट्वीट किया कि केंद्र सरकार का आईएफएससी को गुजरात में स्थापित करने का फैसला निराशाजनक है और यह कदम मुंबई के कद को कम करने के लिए उठाया गया है. केंद्र को अपने इस फैसले पर पुनिर्विचार करना चाहिए. थोराट ने कहा कि मुंबई देश की वित्तीय राजधानी है. उन्होंने इस मुद्दे पर महाराष्ट्र भाजपा नेताओं की चुप्पी पर भी सवाल उठाया. शिवसेना नेता और उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि मुंबई की पहचान दुनिया में वित्तीय ताकत के रूप में है. आईएफएएससी को मुंबई में ही होना चाहिए.
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मुबई में बीएसई, एनएसई, आरबीआई, सेबी, बैंकों और वित्तीय कंपनियों के मुख्यालय और शीर्ष अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालय हैं. मुंबई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र है. मुंबई दक्षिण के सांसद और शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने दावा किया कि उन्होंने केंद्र से आईएफएससी को गुजरात नहीं ले जाने की अपील की थी, लेकिन उनके इस आग्रह को नजरअंदाज किया गया. स्कूल शिक्षा मंत्री और कांग्रेस नेता वर्षा गायकवाड़ ने ट्वीट किया, ‘‘मुंबई से आईएफएससी गंतव्य बनने का मौका छीन लिया गया. इसकी वजह हमारे प्रधानमंत्री का गुजरात के प्रति पक्षपातपूर्ण लगाव है। प्रधानमंत्री देश का होता है या किसी एक राज्य का? वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण गुजरात के गांधीनगर में स्थापित करने के केंद्र के फैसले का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि सिर्फ यही आईएफएससी अभी परिचालन में है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने ट्वीट किया, ‘‘कुछ लोगों का काम हर चीज के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को दोषी ठहराना है.
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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की एक उच्चस्तरीय समिति ने फरवरी, 2007 में रिपोर्ट सौंपी थी जिसें आईएफएससी के गठन की सिफारिश की गई थी. उन्होंने कहा कि न तो महाराष्ट्र सरकार ने कोई आधिकारिक प्रस्ताव सौंपा है और न ही केंद्र ने इस पर विचार किया है। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए फडणवीस ने कहा कि गांधीनगर में आईएफएसी के मुख्यालय की घोषणा इसलिए की गई, क्योंकि यह एकमात्र) परिचालन वाला आईएफएससी है. अब जो लोग छाती पीट रहे हैं वे 2007 से 2014 तक सत्ता में थे, लेकिन उन्होंने मुंबई आईएफएससी के लिए कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा कि जब पहली बार आईएफएससी का विचार आया था तो गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने इसे अपने राज्य में लाने के लिए काम शुरू किया था. वहीं महाराष्ट्र की कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार ने इसके लिए कोई कदम नहीं उठाया था। फडणवीस ने कहा कि तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटल ने कहा था कि सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि क्या दो आईएफएससी हो सकते हैं. उन्होंने दावा किया उनकी अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार ने इस बारे में एक रिपोर्ट भेजी थी कि कैसे दो आईएफएससी एक साथ काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट अब भी विचारार्थ है.
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शरद पवार ने भी मोदी सरकार के इस फैसले को अनुचित बताया
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि केंद्र का अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) का मुख्यालय मुंबई के बजाय गुजरात के गांधीनगर में स्थापित करने का फैसला बेहद खराब, गलत और अनुचित है तथा उन्होंने केंद्र सरकार से इस पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया. पवार ने शनिवार को केंद्र को लिखे एक पत्र में कहा कि इससे न केवल देश को वित्तीय नुकसान होगा बल्कि मुंबई की महत्ता कम करके इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साख भी गिरेगी. मुंबई देश की वित्तीय राजधानी और आईएफएससी के मुख्यालय के लिए सबसे अच्छी पसंद है. उन्होंने पत्र में कहा कि सरकारी प्रतिभूतियों में महाराष्ट्र के व्यापक योगदान के बावजूद आईएफएससी (मुख्यालय) गुजरात में स्थापित करने का फैसला बेहद खराब, गलत और अनुचित है.
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पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री कार्यालय से राज्य की राजनीति को अलग रखकर तथा इस मुद्दे को राष्ट्रीय महत्व का मानते हुए तार्किक और विवेकपूर्ण फैसला लेने की उम्मीद करता हूं. उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के 23 अप्रैल के आंकड़े के अनुसार भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के पास 1,45,00,000 करोड़ रुपये जमा है. उन्होंने कहा कि इसमें महाराष्ट्र का हिस्सा 22.8 प्रतिशत है. इसके बाद दिल्ली (10 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (7.8 प्रतिशत), कर्नाटक (7.2 प्रतिशत) और गुजरात (5.4 प्रतिशत) है. पवार ने कहा कि इस शहर में महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थान और कई कंपनियों के कॉरपोरेट मुख्यालय हैं तथा इसके कारोबारी अवसर विश्वभर में कई बहुराष्ट्रीय कपंनियों को आकर्षित करते हैं. उन्होंने केंद्र से आईएफएससी का मुख्यालय गुजरात में स्थापित करने के फैसले पर पुनर्विचार करने और इसे योग्यता के आधार पर मुंबई में पुन: स्थापित करने का अनुरोध किया. (इनपुट भाषा)