महात्मा गांधी के जीवन में कई महिलाएं आई, कोई अनुगामी थीं और कुछ सहयोगी, लेकिन कहा जाता है कि उन्हें दो महिलाओं से प्यार हुआ था. एक उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी थी और दूसरी सरला देवी. 12 साल की उम्र में महात्मा गांधी की शादी कस्तूरबा के साथ हुई थी. माई एक्सपेरीमेंट विद ट्रुथ में बापू ने अपने वैवाहिक संबंधों का जिक्र किया है. महात्मा गांधी ने किताब में जिक्र किया है कि जब उनकी शादी हुई तो वो किस तरह कस्तूरबा के आसपास ही घूमते रहते थे. वो उनके साथ संबंध बनाने के लिए मौका देखा करते थे. हालांकि पिता के निधन के बाद महात्मा गांधी को अपनी जिम्मेदारी का अहसास हुआ और वो फिर से अपने कर्मपथ पर आगे बढ़ने लगे थे.
कस्तूरबा के बिना गांधी नहीं कर सकते थे जीवन की कल्पना
कस्तूरबा भी महात्मा गांधी से बेहद प्यार करती थी. उन्होंने भी खुद को बापू की तरह ढाल लिया था. गांधी जी भी उनके बिना अपने जीवन की कल्पना तक नहीं करते थे. बापू कितना बा (कस्तूरबा गांधी) को चाहते थे उसे एक वाकये के जरिए समझ सकते हैं. कहते हैं एक वक्त बा बीमार पड़ गई. बीमारी के क्षणों में बापू अपनी पत्नी को एक मिनट के लिए भी नहीं छोड़ते थे. बा के मुंह में जल्दी-जल्दी बलगम जम जाती थी, जिससे उन्हें बार-बार साफ करना होता था. महात्मा गांधी खुद रुमाल से उनका मुंह पोछते थे और उस रुमाल को स्वयं ही धोते थे. हालांकि वहां कई सेवक कस्तूरबा बा की सेवा के लिए तैयार रहते थे लेकिन गांधी जी मना करते थे. वो कहते थे कि मुझे कस्तूरबा की सेवा का जो मौका मिला है वो बेहद ही अमूल्य है.
50 की उम्र में गांधी जी का धड़का था सरला देवी के लिए दिल
कहा जाता है कि गांधी का दिल कस्तूरबा के बाद एक बार फिर धड़का था. वो धड़कन थी सरला देवी के लिए. चार बच्चों के पिता गांधी जी को सरला देवी से मोहब्बत हो गया था. 'कस्तूरबा ए सीक्रेट डायरी' की लेखिका नीलिमा डालमिया कहती हैं कि गांधी जी को सरला देवी से प्यार हो गया था. जिसे लेकर बा ने विरोध किया था. उस वक्त ऐसा लगा था कि बापू और बा की शादी टूट ना जाए. बेटों ने भीजबरदस्त विरोध किया था. घर को बचान के लिए गांधी जी ने खुद इससे किनारा कर लिया था. गांधी जी के पोते राजमोहन गांधी ने भी अपनी किताब में बापू के दूसरे प्यार का जिक्र किया है.
सरला देवी से गांधी जी की यहां हुई थी मुलाकात
गांधी जी और सरला देवी की मुलाकात 1901 में कांग्रेस अधिवेशन में हुई थी. गांधी जी जब दक्षिण अफ्रीका से भारत कांग्रेस अधिवेशन में हिस्सा लेने आए थे तो इस दौरान सरला देवी को कांग्रेस को समर्पित एक गाना लिखकर गाते हुए सुना. उसी दौरान गांधी के दिमाग में सरला देवी दर्ज हो गई थी. सरला देवी रविंद्र नाथ ठाकुर की भतीजी थीं. सरला देवी के पति चौधरी रामभज दत्त आर्य समाज और कांग्रेस में अच्छी पैठ रखते थे. वह जब जेल में थे तो गांधी जी उनकी पत्नी के मेहमान थे, उनके घर में. इस दौरान दोनों के बीच दोस्ती गहरी हो गई. एक-दूसरे से मिलना और पत्रों का आदान-प्रदान भी गांधी जी और सरला देवी के बीच होते थे.
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एक पत्र में गांधी जी सरला देवी के लिए लिखते हैं, तुम मेरे अंदर पूरी शिद्दत से हो, तुमने अपने महान समर्पण के पुरस्कार के बारे में पूछा है, ये तो अपने आप खुद पुरस्कार है.
इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका के अपने एक मित्र को गांधी जी पत्र लिखकर बताते है, 'सरला का सानिध्य बहुत आत्मीय और अच्छा था, उसने मेरा बहुत ख्याल रखा. इस प्यार में पड़ने के कुछ महीनों बाद वो सोचने लगे थे कि उनके रिश्ते आध्यात्मिक शादी की तरह हैं.'
हालांकि गांधी जी घर में विरोध होता देखकर इस रिश्ते से अपना नाता तोड़ लिए थे. लेकिन दोनों ने अपनी आत्मकथा में इस रिश्ते का जिक्र नहीं किया है. कहा जाता है कि सरला के बेटे दीपक चौधरी ने गांधी जी की बेटी से विवाह कर लिया था.
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Source : News Nation Bureau