Advertisment

CBI विवाद के ये हैं प्रमुख किरदार, जानें इनके रोल

पिछले कुछ दिनों देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सेंट्रल ब्‍यूरो ऑफ इंवेस्‍टिगेशन (CBI) अचानक विवादों में आ गई है. हालांकि यह विवाद सीबीआई में अंदर ही अंदर काफी पहले से ही चल रहा था, लेकिन सतह पर कुछ ही दिन पहले आया. लेकिन इसने देश को हिला दिया है.

author-image
vinay mishra
एडिट
New Update
CBI विवाद के ये हैं प्रमुख किरदार, जानें इनके रोल

main character of the CBI controversy

Advertisment

पिछले कुछ दिनों देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सेंट्रल ब्‍यूरो ऑफ इंवेस्‍टिगेशन (CBI) अचानक विवादों में आ गई है. हालांकि यह विवाद सीबीआई में अंदर ही अंदर काफी पहले से ही चल रहा था, लेकिन सतह पर कुछ ही दिन पहले आया. लेकिन इसने देश को हिला दिया है. इसके बाद मजबूर होकर सरकार को कड़ा फैसला लिया और CBI के डायरेक्‍टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया है. वहीं इसके बाद नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाया गया है. अगले आदेश तक वहीं सीबीआई का संचालन करेंगे. इसके देश के इतिहास में पहली बार सीबीआई को अपने ही आफिस में छापा भी मारना पड़ा और अपने आफिस की बिल्‍डिंग को सील भी करना पड़ा. आइए जानतें हैं आखिर इस पूरे मामले किरदार कौन कौन हैं.

आलोक वर्मा
आलोक वर्मा 1979 बैच के IPS अफसर हैं. वह 1 फरवरी 2017 से सीबीआई प्रमुख बने थे. उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई की है. इससे पहले वह दिल्ली के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं. विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने दावा किया कि सना ने वर्मा को 2 करोड़ रुपए दिए थे, जिससे वह मोइन कुरैशी केस में बच जाए.

राकेश अस्थाना
गुजरात काडर के 1984 बैच के IPS अफसर इस समय सीबीआई के विशेष निदेशक हैं. JNU के छात्र रहे अस्थाना ने बिहार का चारा घोटाला और गोधरा ट्रेन में आगजनी मामलों की जांच की थी. स्टर्लिंग बायोटेक में कथित भूमिका के लिए एक याचिका भी दाखिल की गई थी. सीबीआई प्रमुख ने आरोप लगाए गए थे कि उन्हें 3.8 करोड़ रुपए घूस के तौर पर मिले थे.

और पढ़ें : मोदी सरकार का बड़ा एक्‍शन : छुट्टी पर भेजे गए आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना, पूरी सीबीआई बिल्‍डिंग सील

एके शर्मा
गुजरात काडर के 1987 बैच के IPS अफसर हैं. संयुक्त निदेशक के तौर पर वह 2015 में सीबीआई में आए. इस साल की शुरुआत में वर्मा के द्वारा उन्हें पदोन्नति देकर अतिरिक्त निदेशक बना दिया गया. इसके साथ ही अस्थाना द्वारा देखे जा रहे सभी मामलों को उन्हें दे दिए गए.

देवेंद्र कुमार
CBI में DSP देवेंद्र कुमार को बीते सोमवार को खुद सीबीआई ने ही घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया, जिसमें अस्थाना पर भी आरोप लगा है. वह मोईन कुरैशी के खिलाफ केस में जांच अधिकारी थे. सीबीआई ने दावा किया है कि उन्होंने सना का फर्जी बयान तैयार किया, जिसने केस में राहत के लिए घूस देने का आरोप लगाया था.

मोइन कुरैशी
दून स्कूल और सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई की. यूपी के रामपुर में एक बूचड़खाना खोला और आगे चलकर भारत के सबसे बड़े मांस निर्यातक बन गए. आरोप है कि वह पूर्व सीबीआई प्रमुखों एपी सिंह और रंजीत सिन्हा के काफी करीबी थे. एजेंसियां उनके खिलाफ कथित कर चोरी, लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार की जांच कर रही हैं. 2011 में अपनी बेटी की शादी में कुरैशी ने जानेमाने पाक गायक राहत फतेह अली खान को बुलाया था.

और पढ़ें : रंजीत सिन्‍हा के समय में भी सीबीआई में मची थी उथल-पुथल, जानें तब सुप्रीम कोर्ट ने क्‍या कहा था

सतीश बाबू सना
हैदराबाद के उद्योगपति हैं. एक समय वह आंध्र प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारी थे. नौकरी छोड़कर उन्होंने कई कंपनियों में काम किया. उन्हें तमाम पार्टियों से जुड़े बड़े नेताओं का करीबी भी माना जाता है. 2 015 में मांस निर्यातक मोइन कुरैशी के खिलाफ एक ईडी केस में सबसे पहले उनका नाम सामने आया. अस्थाना की टीम ने केस की जांच की थी.

मनोज और सोमेश प्रसाद
मनोज दुबई से काम करने वाला बिचौलिया है, जिसे सीबीआई ने पकड़ा है. उसे निवेशक बैंकर कहा जाता है और अपने भाई सोमेश के साथ वह कई दूसरे उद्योगों से भी जुड़ा है. दोनों का नाता यूपी से है और एक दशक से विदेश में हैं. दुबई आने से पहले सोमेश लंदन गया था. सना ने दावा किया है कि मनोज ने उसका नाम हटवाने के लिए 5 करोड़ रुपये मांगे थे, जो अस्थाना को दिया जाना था.

Source : News Nation Bureau

cbi Central Bureau of Investigation Moin Qureshi satish babu sana CBI CONTROVERSY CBI Director Alok Verma cbi special director rakesh asthana CBI Interim Director Nageshwar Rao
Advertisment
Advertisment