भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर चलते हुए मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे अफसरों पर कड़ी कार्वाई की है. इस साल अब तक 85 अधिकारियों को जबरन रिटायर किया जा चुका है. केंद्र सरकार ने ऐसे 21 अफसरों को जबरन रिटायर (Compulsory Retirement) करने का फैसला लिया है. ये सभी अफसर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के हैं. इस साल जून के बाद यह पांचवां मौका है जब सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें नौकरी से निकाला है.
सरकार की इस बड़ी कार्रवाई में जबरन रिटायर किए गए सभी अधिकारी ग्रुप बी ग्रेड के हैं. इस साल अब तक 85 अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया जा चुका है जिसमें 64 टैक्स अधिकारी हैं.सरकार ने यह कार्वाई सेंट्रल सिविल सर्विसेज 1972 के नियम 56 (J) के तहत की है. इसके मुताबिक 30 साल तक सेवा पूरी कर चुके या 50 साल की उम्र पर पहुंच चुके अधिकारियों की सेवा सरकार समाप्त कर सकती है.
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सरकार ऐसे लोगों को नोटिस और तीन महीने के वेतन-भत्ते देकर घर भेज सकती है. ऐसे अधिकारियों के काम की हर तीसरे महीने समीक्षा की जाती है और अगर उन पर भ्रष्टाचार या अक्षमता/अनियमितता के आरोप पाए जाते हैं तो जबरन रिटायरमेंट दिया जा सकता है.
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सरकार के पास यह विकल्प दशकों से मौजूद हैं, लेकिन अब तक गंभीरता से इस पर कारवाई नहीं की जाती थी. मोदी सरकार में भी साल 2014, 2015 और 2017 में इस नियम पर गंभीरता से अमल करने के आदेश दिए गए, इस बार सरकार अब कमर कसकर इसे लागू कराने के प्रयास में जुटी है.
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इस नियम में अब तक ग्रुप ए और बी के अधिकारी ही शामिल थे, अब ग्रुप सी के अधिकारी भी इसमें आ गए हैं. केंद्र सरकार ने सभी केंद्रीय संस्थानों से इस बारे में मासिक रिपोर्ट मंगाना शुरू कर दिया है. सरकार के जरिए ऐसे अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिया जा सकता है. ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-परफार्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो