कश्मीर घाटी में एक स्थानीय युवक को जीप पर बांधकर मानव ढाल की तरह इस्तेमाल करने वाले सेना के मेजर नितिन गोगोई पहली बार मीडिया के सामने सफई दी है। उन्होंने कहा कि पत्थरबाज को गाड़ी से बांधना जरूरी था वरना कई लोगों की जान खतरे में आ जाती।
मेजर गोगोई ने नौ अप्रैल का जिक्र करते हुए बताया, 'उस दिन मतदान केन्द्र को कुछ लोगों ने घेर लिया था। जब वह मतदान केन्द्र पहुंचे तो देखा कि महिला और बच्चे सेना पर पत्थर फेंक रहे है। सेना पर वह लोग पट्रोल बम फेंक रहे थे।'
उन्होंने कहा, 'मैं लोगों से लगातार कह रहा था कि हम सिर्फ स्थानिय लोगों को बचाने आए हैं तभी मैंने देखा कि एक आदमी भारत विरोधी नारे लगा रहा था। मेरे साथी ने कहा कि हमें फायरिंग करनी चाहिए लेकिन मैंने मना कर दिया।'
इससे निपटने के लिए और स्थानीय लोगों को बचाने के लिए हमने पत्थरबाजी करने वाले फारुख अहमद डार को पकड़ लिया और जीप के आगे बांध दिया।
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फारुख अहमद डार को जीप पर बांधने के बाद वह अपनी टीम के साथियों के साथ मतदान केन्द्र पहुंचे और जवानों की जान बचाई।
आपको बता दे कि सेना प्रमुख बिपिन रावत ने गोगोई को आतंकवाद निरोधी कार्रवाई के लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) पुरस्कार से नवाजा है। इस पुरस्कार को लेकर राजनीतिक विवाद तूल पकड़ चुका है।
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Source : News Nation Bureau