राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने में अब दो सप्ताह का समय बाकी है. सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उत्तर प्रदेश समेत पड़ोसी राज्यों में तैयारी शुरू हो चुकी है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सभी पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं तो अयोध्या में धारा-144 लागू कर दी गई है. दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी तैयारी शुरू कर दी है. आरएसएस चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसी के भी पक्ष में आए, देश का सामाजिक-धार्मिक सौहार्द नहीं बिगड़ना चाहिए. इसके लिए एक तरफ हिंदू पक्ष को संयमित रहने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ अन्य धार्मिक संगठनों के लोगों से भी बातचीत की जा रही है. आने वाले दिनों में संघ के प्रमुख लोगों के साथ ही सर संघचालक मोहन भागवत दूसरे धर्म गुरुओं के साथ बैठकों का दौर तेज कर सकते हैं.
मोहन भागवत ने की थी अरशद मदनी से मुलाकात
राम मंदिर के फैसले को लेकर आरएसएस ने कुछ महीनों पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है. अगस्त के अंतिम सप्ताह में मोहन भागवत ने दिल्ली में ही जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी से मुलाकात की थी. इस बैठक में मुख्य तौर पर राम मंदिर फैसला आने के बाद देश के सामाजिक सौहार्द को लेकर बातचीत की गई. आरएसएस का मामना है कि कोर्ट का फैसला किसी एक के पक्ष में आएगा. ऐसे में दूसरे पक्ष को पूरे संयम के साथ उस फैसले को मानना चाहिए.
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संघ की बैठक में राम मंदिर मामले पर हुई चर्चा
अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाकिस्तान देश का माहौल खराब करने की साजिश रच रहा है. सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह अलर्ट पर हैं. ऐसे में अब राम मंदिर का फैसला भी बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रहा है. संघ का मामना है कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद देश के माहौल को खराब करने की साजिश रची जा रही है. ऐसे में राममंदिर को लेकर पूरी सतर्कता बरतने की जरूरत है. छतरपुर में संघ परिवार की तीन दिन तक चली मैराथन बैठक में राम मंदिर मुद्दा पर चर्चा का केंद्र रहा. इस बैठक में सर संघचालक मोहन भागवत, सरकार्यवाह भय्या जी जोशी, सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल व मनमोहन वैद्य, केंद्रीय गृह मंत्री व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे, कार्याध्यक्ष आलोक कुमार समेत सभी आनुषांगिक संगठनों के शीर्ष पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया.
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आरएसएस को उम्मीद, फैसला पक्ष में आएगा
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इससे पहले राम मंदिर पर फैसला आने की उम्मीद है. माना जा रहा है कि 15 नवंबर तक इस केस में फैसला हो जाएगा. आरएसएस को उम्मीद है कि कोर्ट का फैसला उसी के पक्ष में आएगा. हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में मंदिर की जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया था. तब उस फैसले से सभी पक्षों के हाथ कुछ न कुछ लगा था. अब सुप्रीम कोर्ट में मामला जमीन के मालिकाना हक को लेकर है. माना जा रहा है कि संभवतः सुप्रीम कोर्ट का फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से अलग हो. आरएसएस ने सभी से अपील की है कि कोर्ट का फैसला किसी के भी पक्ष में आए, उसे खुले दिल से स्वीकार करना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- 17 नवंबर से पहले सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा राम मंदिर पर फैसला, यूपी और एमपी में पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित जमीन का तीन हिस्सों में बांटने का सुनाया था फैसला
- आरएसएस ने कोर्ट का फैसला आने से पहले देश के सामाजिक सौहार्द को बनाए रखने की तैयारी की
Source : कुलदीप सिंह