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बंगाल की खाड़ी में मालाबार युद्धाभ्यास, अमेरिकी सील से कम नहीं इंडियन मरीन कमांडोज 

मरीन कमांडोज या मार्कोस (MARCOS) को मरीन कमांडो फोर्स भी कहा जाता है. यह इंडियन नेवी की स्पेशल फोर्स टीम है.

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Pradeep Singh
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Malabar Naval Exercise 2021

मालाबार युद्धाभ्यास( Photo Credit : News Nation)

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बंगाल की खाड़ी में आज यानि मंगलवार से नौसेना का सबसे प्रसिद्ध मालाबार युद्धाभ्यास शुरू हो गया है. युद्धाभ्यास का यह दूसरा चरण है. इस युद्धाभ्यास में इंडियन नेवी, जापान की जापान मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स, ऑस्ट्रेलिया की रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी और अमेरिका की नेवी शामिल हैं. चारों देशों की नौसेनाओं की अग्रिम पंक्तियों के कई युद्धपोत एवं अन्य पोत युद्धाभ्यास में मुश्किल ड्रिल्स कर रहे हैं. मालाबार नौसेना युद्धाभ्यास 1992 में हिंद महासागर में भारतीय नौसेना और अमेरिकी नौसेना के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था. जापान 2015 में अभ्यास का स्थायी सदस्य बना. इसके बाद भारत के निमंत्रण के बाद , ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल भी मालाबार अभ्यास में हिस्सा लिया था. इस अभ्यास में भारतीय नौसेना की क्षमता भी दिखेगी.

मरीन कमांडोज या मार्कोस (MARCOS) को मरीन कमांडो फोर्स भी कहा जाता है. यह इंडियन नेवी की स्पेशल फोर्स टीम है. मार्कोस ने 1980 के दशक से अब तक कई सीक्रेट मिशन को अंजाम दिया है. मारकोज की अपने ऑपरेशन को इतनी मुस्तैदी और तेजी से अंजाम देते हैं कि इन्हें किसी मायनों में अमेरिकी सील से कम नहीं माना जा सकता है. भारतीय नौसेना की एलीट स्पेशल फोर्स आतंकी हमले के मुकाबले से लेकर पानी के भीतर ऑपरेशन, एंटी-पायरेसी ऑपरेशन समेत हर चीज में माहिर है. मार्कोस कमांडोज टीएआर-21 असॉल्ट राइफल समेत दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हथियार से लैस होते हैं.

मार्कोस की स्थापना 1985 में भारतीय समुद्री विशेष बल (IMSF) के रूप में हुई थी. दो साल बाद, उनका नाम बदलकर मरीन कमांडो फोर्स (MCF) कर दिया गया. कड़ी ट्रेनिंग के बाद कमांडोज तीन से पांच साल तक ही फोर्स का हिस्सा रहते हैं. मार्कोस के कई ऑपरेशन अपने आप में एक मिसाल हैं. आजादी के बाद विदेशी धरती पर भारत की पहली सैन्य कार्रवाई 'ऑपरेशन कैक्टस' के नाम से आज भी इतिहास के पन्नों पर दर्ज है. 

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नवंबर 1988 में 'तमिल इलम के पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन' (प्लोटे) तमिल उग्रवादियों ने मालदीव में तख्तापलट की कोशिश की थी. इस पर मालदीव ने भारत समेत अन्य देशों से मदद मांगी थी. 1988 में मालदीव में इंडियन मरीन कमांडो ने इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था. विदेशी धरती पर सिर्फ एक टूरिस्ट मैप के जरिये भारतीय सेना ने यह ऑपरेशन किया था. श्रीलंका में ऑपरेशन पवन के जरिये जाफना जेटी को तबाह किया था.

इस ऑपरेशन में मारकोज समुद्र के नीचे 12 किलोमीटर तैरकर अपने टारगेट तक पहुंचे थे. इस दौरान उनकी पीठ पर हथियारों का जखीरा भी था. बिना किसी को खबर लगे उन्होंने बंदरगाह को विस्फोटकों से उड़ा दिया. जवाब में लिट्टे ने हमला किया तो उन्होंने उनको छकाते हुए बिना किसी नुकसान के अपने जहाज पर वापस पहुंच गए थे.

HIGHLIGHTS

  • मार्कोस की स्थापना 1985 में भारतीय समुद्री विशेष बल के रूप में हुई थी
  • मरीन कमांडोज या मार्कोस को मरीन कमांडो फोर्स भी कहा जाता है
  • कड़ी ट्रेनिंग के बाद कमांडोज तीन से पांच साल तक ही फोर्स का हिस्सा रहते हैं
Indian Marine Commandos MARCOS Malabar maneuver in Bay of Bengal us navy seal Malabar Naval Exercise 2021
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