मालदीव हालात पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने कहा है कि वहां पर में इमरजेंसी की अवधि बढ़ाए जाने का कोई कारण नहीं देखता है और इस फैसले से निराश है। साथ ही कहा है कि वो वहां पर लोकतंत्र की जल्द बहाली की उम्मीद करता है।
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मालदीव की सरकार से भारत आग्रह करता है कि वहां राजनीतिक कैदियों और मुख्य न्यायाधीश को रिहा किया जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सरकार लागू करे और संस्थाओं को सामान्य तरीके से काम करने दिया जाए।
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मालदीव की स्थिति पर भारत नज़र बनाए हुए हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'ये हमारी इच्छा है कि मालदीव में लोकतंत्र की बहाली हो और स्थिति को सामान्य स्थिति में लाई जाए। हमें लगता है कि मालदीव के लोगों की भी यही इच्छा है। हम निराश हैं कि मालदीव सरकार ने इमरजेंसी की अवधि 30 दिन के लिये और बढ़ा दिया है।'
इधर भारत के रुख पर मालदीव के विदेश मंत्रालय की तरफ से भी बयान आया है, 'मालदीव की सरकार भारत की तरफ से जारी बयान को संज्ञान में लेती है। जो मालदीव में हो रहे राजनीतिक गतिविधियों के मद्देनज़र मौजूदा जमीनी हकीकत की अनदेखी कर रही है।'
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साथ ही बयान में मालदीव ने कहा है कि संसद द्वारा इमरजेंसी की अवधि बढ़ाए जाने को असंवैधानिक करार देने के भारत के दावे से साफ है कि वो मालदीव के संविधान और कानून की अनदेखी कर रहा है और तथ्यों को तो़ड़ा मरोड़ा जा रहा है।
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Source : News Nation Bureau