राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद के बीजेपी ज्वाइन करने पर तंज कसते हुए कहा है कि कांग्रेस ने उनकी उपेक्षा नहीं की थी और न ही उनके कद को कम आंका था. उन्होंने आगे कहा कि, वो वर्किंग कमिटी के मेंबर थे महासचिव थे बंगाल के प्रभारी थे, वो कभी भी अपनी बात राहुल गांधी के पास रख सकते थे अब जब कांग्रेस पार्टी पूरी कोशिश कर रही है मोदी सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए और कोविड का वक़्त है हर कार्यकर्ता को काम करना चाहिए वो छोड़कर अगर फील्ड से भाग गए और जहां पर हरियाली दिखीं वहां जाकर बैठ गए. ये पार्टी के लिए और उनके लिए भी अच्छा नहीं है.
इसके पहले बुधवार को कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए जितिन प्रसाद ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली. बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद जितिन प्रसाद ने कांग्रेस को निशाने पर लिया तो देश के विपक्षी दल ने भी इस पर पलटवार किया है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने जितिन प्रसाद को विश्वासघाती बताया है. अजय कुमार लल्लू ने कहा कि उन्होंने जो किया है, वो अच्छा काम नहीं है. साथ ही उन्होंने जितिन पर हमला बोलते हुए कहा कि जो अपनी जमीन नहीं बचा सका, वह बीजेपी को कैसे फायदा देगा. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस में सभी को बढ़ने का मौका मिलता है.
कांग्रेस नेता और मनमोहन सरकार में मंत्री रहे जितिन प्रसाद ने बुधवार को रेल मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थाम लिया. जितिन प्रसाद पिछले काफी समय से कांग्रेस में उपेक्षित होने के कारण नेतृत्व से नाराज चल रहे थे. बीजेपी में शामिल होने के बाद जितिन प्रसाद ने कहा कि मैंने पिछले 8-10 सालों में ये महसूस किया है कि आज देश में अगर कोई असली मायने में संस्थागत राजनीतिक दल है तो भाजपा है. बाकी दल तो व्यक्ति विशेष और क्षेत्र के हो गए मगर राष्ट्रीय दल के नाम पर भारत में कोई दल है तो भाजपा है.
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तीन पीढ़ियों का इतिहास
जितिन प्रसाद ने कहा कि मेरा कांग्रेस पार्टी से तीन पीढ़ियों का साथ रहा है. उनके पिता जितेंद्र प्रसाद को भी कांग्रेस का बड़ा चेहरा माना जाता था. जितेन्द्र प्रसाद की भी गिनती गांधी परिवार के करीबियों में होती थी. कांग्रेस को छोड़ने का फैसला मैंने काफी सोच विचार के बाद लिया है. उन्होंने कहा कि मेरे राजनीतिक जीवन का नया अध्याय शुरू हो रहा है.
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कांग्रेस में नहीं सुनी जाती अपने ही लोगों की बात
जितिन प्रसाद ने कहा कि मैं जिस दल में था वहां रहकर महसूस किया कि यहां अपने ही लोगों की बात नहीं सुनी जाती है. जहां अपने ही लोगों की बात ना सुनी जाए और अपने ही लोगों के पार्टी काम ना आ सके तो ऐसी जगह काम करना उचित नहीं. दरअसल जितिन प्रसाद पिछले काफी समय से कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व से नाराज चल रहे थे. वह वह उन नेताओं में भी शामिल थे जिन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को लेकर सोनियां गांधी को चिट्ठी लिखी थी.
HIGHLIGHTS
- जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने पर खड़गे का तंज
- जितिन प्रसाद की पिछली तीन पीढ़ियों ने कांग्रेस के लिए काम किया
- संघर्ष के समय जितिन प्रसाद ने छोड़ा साथ, जाकर हरियाली पर बैठे