मल्लिकार्जुन खड़गे बोले-रेल बजट को वित्त विभाग में मिलाने का क्या कारण था
साल 2017 से रेल बजट को आम बजट में मिला दिया गया. पहले रेल बजट अलग से पेश किया जाता था. लेकिन अब आम बजट में ही रेल बजट भी होता है. 1924 से अब तक आम बजट से अलग रेल बजट पेश होता रहा है. रेल बजट को आम बजट में मिलाने के पांच साल बाद भी अभी तक कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है. राज्यसभा में कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि, "सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन रेल बजट को वित्त विभाग में मिलाने का क्या कारण था? पहले बोर्ड बहुत सारे निर्णय लेता था और आवश्यक कार्य जल्द से जल्द किया जाता था. लेकिन अब वित्त विभाग से अनुमति के लिए कतार में हैं."
रेल बजट को आम बजट में मर्ज करते समय तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि आज स्थिति अलग है, सिर्फ परंपरा के आधार पर अलग से रेल बजट पेश किए जाने की जरूरत नहीं है. इस साल एक बजट होगा और एक विनियोजन विधेयक होगा. इससे रेलवे की स्वायतत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि हर साल रेलवे पर चर्चा हो.
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बता दें कि 1924 से अब तक आम बजट से अलग रेल बजट पेश होता रहा है. साल 2017 में अब सिर्फ रेल बजट को आम बजट के साथ ही संसद में पेश किया गया था. अब रेल मंत्रालय का वित्तीय लेखा-जोखा भी आम बजट का उसी तरह से हिस्सा है, जैसे दूसरे मंत्रालय के लिए होता है. वैसे तो आम बजट में रेल बजट के मर्जर के सैद्धांतिक सहमति पर नीति आयोग के प्रस्ताव पर रेलमंत्री ने अपनी सहमति पहले ही जता दी थी. रेलवे के आला अफसरों के मुताबिक वित्त मंत्रालय ही अब रेल मंत्रालय का बजट तय करता है. लेकिन अभी भी दोनो मंत्रालयों के अधिकारों का बटंवारा बाकी है.