उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी पंजाब को छोड़कर शेष अन्य चार राज्यों में सरकार बनाने जा रही है. यही वजह है कि कांग्रेस में अब विधानसभा चुनाव में मिली हार को लेकर मंथन शुरू हो गया है. इसको लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को दिल्ली में बुलाई गई सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में हार की जिम्मेदार लेते हुए पद से इस्तीफा देने की पेशकश की, लेकिन उसको नामंजूर कर दिया गया. सीडब्ल्यूसी के सदस्यों ने एक बार फिर सोनिया गांधी पर भरोसा जताया है. इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक बयान में कहा कि सीडब्ल्यूसी ने सोनिया गांधी का इस्तीफा खारिज किया है, क्योंकि चुनाव में हार के लिए राज्य का हर नेता, सांसद जिम्मेदार है.
कांग्रेस कार्य समिति ने रविवार को हाल के विधानसभा चुनावों के नतीजों पर पांच घंटे से अधिक लंबी चर्चा की. बैठक में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी भूमिका से 'पीछे हटने' की पेशकश की, लेकिन पार्टी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले पदाधिकारियों ने उनका प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया. सूत्रों ने कहा कि सोनिया ने संकेत दिया कि अगर सीडब्ल्यूसी चाहे तो वह पीछे हट सकती है, लेकिन सीडब्ल्यूसी ने उनकी इस बात का समर्थन नहीं किया. सीडब्ल्यूसी ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताया और हर एक सदस्य ने कहा कि उन्हें संगठनात्मक चुनावों तक पद पर बनी रहना चाहिए। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, "सीडब्ल्यूसी की बैठक में जो विचार-विमर्श हुआ, उसे खुले तौर पर बताया नहीं जा सकता. कई लोगों ने अपनी बात रखी, लेकिन सीडब्ल्यूसी का बयान बैठक का अंतिम निष्कर्ष है." उन्होंने कहा कि चर्चा पार्टी की मजबूती पर केंद्रित रही और जल्द ही एक मंथन सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया.
पार्टी महासचिव, संगठन के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि सभी राज्य प्रभारियों ने सीडब्ल्यूसी को परिणामों के बारे में सूचित किया और सीडब्ल्यूसी सदस्यों ने परिणामों का विश्लेषण किया. पार्टी ने चुनाव परिणामों को स्वीकार किया और सोनिया गांधी के नेतृत्व में ही भाजपा से लड़ने का संकल्प लिया.
Source : News Nation Bureau