Advertisment

खड़गे ने आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाने के फैसले पर जताई असहमति

सूत्रों के अनुसार बैठक के दौरान न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कुछ आरोप हैं, इसपर खड़गे ने कहा, 'आरोप कहां हैं.'

author-image
Deepak Kumar
एडिट
New Update
खड़गे ने आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाने के फैसले पर जताई असहमति

मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के नेता

Advertisment

आलोक वर्मा के भविष्य पर विचार करने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की बैठक में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीबीआई निदेशक को पद से हटाने के कदम का विरोध किया. चयन समिति ने वर्मा को पद से हटाने का फैसला किया है. दो दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने वर्मा को इस पद पर बहाल किया था. सूत्रों के अनुसार बैठक के दौरान समिति के सदस्य खड़गे ने कहा कि वर्मा को दंडित नहीं किया जाना चाहिये और उनका कार्यकाल 77 दिन के लिये बढ़ाया जाना चाहिये. इस अवधि के लिये वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया था.

यह दूसरा मौका है जब खड़गे ने वर्मा को पद से हटाने पर आपत्ति जताई. तीन सदस्यीय समिति में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के तौर पर न्यायमूर्ति ए के सीकरी भी शामिल थे. सूत्रों के अनुसार बैठक के दौरान न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कुछ आरोप हैं, इसपर खड़गे ने कहा, 'आरोप कहां हैं.' 

कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से किये गए ट्वीट में कहा, 'आलोक वर्मा को उनका पक्ष रखने का मौका दिये बिना पद से हटाकर प्रधानमंत्री मोदी ने एकबार फिर दिखा दिया है कि वह जांच--चाहे वह स्वतंत्र सीबीआई निदेशक से हो या संसद या जेपीसी के जरिये-- को लेकर काफी भयभीत हैं.' 

वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से हटाया गया. इसके साथ ही एजेंसी के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले वह सीबीआई के पहले प्रमुख बन गए हैं.

BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि अगर वर्मा को हटाने का बहुमत का फैसला था, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि वर्मा को उनके खिलाफ आरोपों का जवाब देने के लिए क्यों नहीं कहा गया. केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को लेकर मेरी राय बहुत खराब है.'

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने प्रधानमंत्री की भूमिका में 'हितों के टकराव' की बात कही क्योंकि प्रधानमंत्री उस तीन सदस्यीय समिति का हिस्सा हैं जिसने वर्मा को पद से हटाया है. इसमें लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सर्वोच्च न्यायालय के मनोनीत प्रतिनिधि प्रधान न्यायाधीश द्वारा नामित न्यायमूर्ति एके सीकरी हैं. 

उन्होंने कहा, 'सीबीआई निदेशक के रूप में पदभार संभालने के एक दिन बाद, मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने फिर से आलोक वर्मा को बिना सुनवाई के जल्दबाजी में हटा दिया, क्योंकि उन्हें डर था कि राफेल घोटाले में मोदी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने की संभावना है.'

उन्होंने कहा, 'आलोक वर्मा का पक्ष सुने बिना समिति यह कैसे तय कर सकती है? यह सरकार की हताशा को दर्शाता है. इसमें प्रधानमंत्री के हितों का टकराव है. इतनी हताशा, किसी भी जांच को रोकने के लिए है.'

एक अन्य वरिष्ठ वकील व राज्यसभा सदस्य मजीद मेमन ने वर्मा को हटाने को 'सत्ता का अतिक्रमण' करार दिया.

मेमन ने कहा, 'आलोक वर्मा के खिलाफ चयन समिति का फैसला पूरी तरह से 'सत्ता का अतिक्रमण' है. समिति को उनकी बात सुननी चाहिए थी. मामले में सीवीसी की भूमिका भी संदेह के घेरे में है.'

कांग्रेस नेता व वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्मा को आरोपों के आधार पर हटा दिया गया, जबकि सीवीसी की कोई विश्वसनीयता नहीं है.

और पढ़ें- आलोक वर्मा को CBI निदेशक पद से हटाया गया, पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने लिया फैसला

उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री इस बात से आशंकित हैं कि उनके खिलाफ जांच होने पर कई सबूत सामने आएंगे.'

एजेंसी इनपुट के साथ...

Source : News Nation Bureau

PM modi CBI Director mallikarjuna kharge Alok Verma Kharge election panel A K Sikri
Advertisment
Advertisment
Advertisment