जैन समुदाय के पर्यूषण पर्व के दौरान मंदिर न खोलने के महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के फैसले पर दाखिल एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के रवैये पर सवाल खड़े किए हैं. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि आप मॉल, बाजार, शराब की दुकान को खुला रहने दे रहे हैं क्योंकि वहां से आमदनी आती है, लेकिन जब धार्मिक वजह से मंदिर जाने की बात आती है, तो आप कोरोना का हवाला देकर मन्दिर खोलने से इंकार कर देते हैं.
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कोर्ट ने दी 22 और 23 अगस्त को मंदिर की इजाजत
सुप्रीम कोर्ट ने श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन ट्रस्ट के नियंत्रण वाले 3 मंदिरों को 22-23 अगस्त को खोलने की अनुमति दे दी है. मंदिर में एक बार में 5 लोगों को ही जाने की अनुमति होगी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि ये आदेश दूसरे धार्मिक मामलों में उदाहरण की तरह न देखा जाए. दरअसल जैन समुदाय के पर्यूषण पर्व को लेकर 15 से 23 अगस्त तक मंदिरों को खोलने की अनुमति मांगी थी लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इससे इनकार कर दिया. राज्य सरकार का कहना है कि इससे कोरोना वायरस के संक्रमण का और प्रसार हो सकता है, जिससे लोगों की जान जा सकती है.
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इस मामले को लेकर बांबे हाईकोर्ट में याचिका डाली गई थी. अदालत से आग्रह किया कि राज्य को एक समय में मंदिरों में सिर्फ "10 से 20" लोगों को अनुमति देने पर विचार करने के लिए कहा जाए. वकील शाह ने कहा, ‘‘मंदिर का ट्रस्ट यह सुनिश्चित करेगा कि 20 से अधिक लोग प्रवेश न करें.’’ अदालत ने हालांकि कहा कि वह अभी राज्य सरकार के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती. पीठ ने कहा, ‘‘हम सभी समुदायों की परवाह करते हैं. हम आपकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.’’ इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
Source : News Nation Bureau