तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में इस बात के पुख्ता संकेत हैं कि ममता बनर्जी और आई-पैक समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच चल रहे मतभेदों को देखते हुए पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी पार्टी की संगठनात्मक जिम्मेदारियां छोड़ सकते हैं और हो सकता है कि केवल डायमंड हार्बर के सांसद के रूप में काम करना जारी रखें. टीएमसी के अखिल भारतीय महासचिव बनर्जी इस समय गोवा में चुनाव प्रचार कर रहे हैं. उन्होंने अपने करीबी हलकों में कहा है कि गोवा में विधानसभा चुनाव होने के बाद 14 फरवरी की शाम या अगले दिन सुबह वह ट्वीट के जरिए अपनी घोषणा करेंगे. गौरतलब है कि स्थानीय निकाय चुनाव में टिकट वितरण को लेकर दीदी और अभिषेक में खासे मतभेद उभर आए हैं. इस तरह के मतभेदों के बीच प्रशांत किशोर की कंपनी पर भी अंगुलियां उठ रही है, जिसे दीदी ने राजनीतिक रणनीतिकार बतौर हायर किया है.
अभिषेक कहीं दबाव की राजनीति तो नहीं कर रहे
हालांकि यह निश्चित नहीं है कि घोषणा क्या होगी, लेकिन यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और उनकी आई-पैक टीम के साथ संबंध में खटास चरम पर है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, एक वर्ग की राय है कि मुख्यमंत्री के भतीजा तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है, ताकि वह अपने फैसले पर दोबारा विचार करें. अभिषेक बनर्जी के करीबी एक नेता ने कहा, 'दबावरोधी राजनीति का कोई सवाल ही नहीं है. अभिषेक का यह सोचना बहुत स्वाभाविक है कि अगर वह वैसा नहीं कर सकते, जैसा करना चाहते हैं तो किसी पद पर टिके रहने का कोई मतलब नहीं है. एक पद धारण करने के बजाय यह बहुत अच्छा होगा कि वह जिम्मेदारी छोड़ दें. उस स्थिति में वह डायमंड हार्बर के लोगों के लिए एक स्वतंत्र दिमाग से काम कर सकते हैं.
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टीएमसी युवा प्रकोष्ठ अभिषेक के साथ
गौरतलब है कि ममता बनर्जी के खिलाफ टीएमसी के युवा प्रकोष्ठ ने भी निशाना साधा था. युवा प्रकोष्ठ का कहना था कि ममत बनर्जी को पार्टी में एक नेता एक पद के सिद्धांत का पालन करना चाहिए. युवा प्रकोष्ठ अभिषेक बनर्जी का नजदीकी माना जाता है. इस कड़ी में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि निकाय चुनाव मतदान के बाद दीदी ने एक आपात बौठक शनिवार को ही बुलाई है. सूत्र बता रहे हैं कि इसमें दीदी के तमाम नजदीकी नेता शामिल होंगे. यह अलग बात है कि इस बैठक के लिए अभिषेक को न्योता नहीं दिया गया है.
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निकाय चुनाव में टिकट वितरण से मतभेद गहराए
हालांकि निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कई हल्कों से अनुरोध किया जा रहा है, लेकिन डायमंड हार्बर के सांसद ने पीछे हटने के कोई संकेत नहीं दिखाए हैं. गौरतलब है कि इस पूरे विद्रोह की जड़ उम्मीदवारों की दो लिस्ट करार दी जा रही हैं. एक लिस्ट को ममता बनर्जी की मंजूरी के बाद पार्टी के जनरल सेक्रेटरी पार्थ चटर्जी और सुब्रत बख्शी ने रिलीज किया था, लेकिन एक लिस्ट फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल पर अपलोड की गई है. सोशल मीडिया पर अफलोड में उन 150 उम्मीदवारों के भी नाम हैं, जिन पर ममता बनर्जी को आपत्ति है. इसके लिए प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
HIGHLIGHTS
- मतभेद की रार के बीच दीदी ने बुलाए खास सिपाहसालार
- शाम को मतदान के बाद अभिषेक रार मसले पर चर्चा
- अभिषेक ने दिए सांगठनिक जिम्मेदारी छोड़ने के संकेत