मणिपुर और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली सरकार की सोशल मीडिया पर आलोचना करने के आरोप में इंफाल के एक पत्रकार को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत स्थानीय कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई है. पत्रकार ने राज्य में रानी लक्ष्मीबाई की जयंती मनाने को लेकर मणिपुर सरकार की आलोचना की थी. इंफाल पश्चिमी जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 14 दिसंबर को यह आदेश दिया था. राज्य के गृह मंत्रालय द्वारा यह बयान जारी किया गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के एडवाइजरी बोर्ड ने 11 दिसंबर को हुई बैठक में पत्रकार किशोरचंद वांगखेम के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच की थी. 13 दिसंबर को बोर्ड ने सिफारिश की थी कि वांगखेम को हिरासत में लेने के लिए एनएसए के प्रावधानों के तहत पर्याप्त सबूत हैं.
मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने पत्रकार को एनएसए के तहत अधिकतम 12 महीने की हिरासत के लिए एडवाइजरी बोर्ड की सिफारिशों को मंजूरी दी थी. वांगखेम ने कथित तौर पर राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को 'केंद्र की कठपुतली' और 'हिंदुत्व की कठपुतली' बताया था.
39 वर्षीय वांगखेम को एनएसए के तहत 26 नवंबर को केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार की आलोचना करने के कारण हिरासत में लिया गया था. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी, लेकिन अगले दिन रासुका के तहत उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.
अधिकारियों ने कहा था कि किशोरचंद वांगखेम एक स्थानीय टीवी चैनल में पत्रकार है और 19 नवंबर को उसने अंग्रेजी और मैती में जो वीडियो अपलोड किये वे उसके आधिकारिक काम से संबद्ध नहीं हैं.
19 नवंबर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती है जिनकी 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका थी. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक अपने वीडियो में वांगखेम ने कथित तौर पर कहा है कि वह यह जानकर दुखी और स्तब्ध हैं कि मणिपुर में मौजूदा सरकार झांसी की रानी की जयंती मना रही है.
उन्होंने कथित तौर पर कहा कि झांसी की रानी ने जो किया उसका मणिपुर से कुछ लेना देना नहीं है और राज्य उनकी जयंती मना रहा है क्योंकि केंद्र ने उससे ऐसा करने को कहा है.
Source : News Nation Bureau