हर साल गर्मियों में देश के राज्यों में जल संकट और सूखे जैसी स्थिति पैदा हो जाती है. महाराष्ट्र, बुंदेलखंड समेत के कई राज्यों के लोग पानी की समस्याओं से जूझते रहते है. पानी की कमी के कारण खेत तो सूखते ही साथ लोंगो का भी जीना मुहान होता रहता है. कई गांव और कस्बें तो ऐसे है जहां एक बाल्टी पानी के लिए लोगों को घटों का इंतजार और कई मिलों का सफर तय करना पड़ता है. आम जनता की बढ़ती इस बड़ी परेशानी पर आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narednra Modi) का ध्यान इस ओर चला ही गया. रविवार को अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान पहली बार पीएम मोदी ने 'मन की बात' (Mann Ki Baat) कार्यक्रम किया. इस दौरान उन्होंने देश में आई पानी की समस्या पर बात करते हुए कई योजनाओं का जिक्र किया.
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पानी की समस्या से कई जगह पैदा हुए अकाल पर पीएम मोदी ने कहा 'अब समय आ गया है कि इस समस्या का समाधान निकाला जाए. जल ही जीवनदायिनी शक्ति ऊजा का स्रोत है. पानी की कमी से देश के कई हिस्से हर साल प्रभावित होते हैं. आपको आश्चर्य होगा कि बारिश से जो पानी हमें मिलता है कि उसका सिर्फ 8 प्रतिशत ही बचाया जाता है, जरूरत है इसे बढ़ाया जाए.'
इसके साथ ही उन्होंने कहा , 'जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जलशक्ति मंत्रालय बनाया गया है. मैंने देश भर के सरपंचों-ग्राम प्रधानों को पत्र लिखकर कहा, बारिश का पानी बचाने के लिए ग्राम सभा की बैठक कर वे विचार विमर्श करें.'
मोदी ने कहा, 'मुझे खुशी है कि इस महीने की 22 तारीख को कई सरपंचों ने इस तरह की बैठक की. मेरी तरफ से सभी ग्राम प्रधानों और सरपंचों को इस मुहिम में शामिल होने के लिए ढेरों शुभकामनाएं.'
उन्होंने ये भी कहा कि आप सभी से अनुरोध है कि जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वालों की जानकारी आप शेयर करें, ताकि एक बहुत ही समृद्ध डेटाबेस बनाया जा सके. हम जलसंरक्षण से जुड़े उपायों की सूची बनाकर शेयर करें. जलशक्ति और जनशक्ति हैशटैग के साथ इसे शेयर करें. मुझे विश्वास है कि जन भागीदारी , जनशक्ति के सामर्थ्य , संकल्प और सहयोग से ही जल संकट का समाधान होगा.'
'मन की बात' कार्यक्रम में पीएम ने देशवासियों से किए तीन अनुरोध-
1. पीएम ने कहा, 'मेरा पहला अनुरोध है – जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया.आइए, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत
2. देशवासियों से मेरा दूसरा अनुरोध है। हमारे देश में पानी के संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं। मैं आप सभी से, जल संरक्षण के उन पारंपरिक तरीकों को share करने का आग्रह करता हूं : पीएम मोदी
3. उन्होंने कहा, 'जो भी पोरबंदर के कीर्ति मंदिर जायें वो उस पानी के टांके को जरुर देखें. 200 साल पुराने उस टांके में आज भी पानी है और बरसात के पानी को रोकने की व्यवस्था है, ऐसे कई प्रकार के प्रयोग हर जगह पर होंगे.'