पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मनोज सिन्हा को जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बनाए जाने को मंजूरी दी है. राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू (Girish Chandra Murmu) का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है. ज्ञात हो कि जी सी मुर्मू ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. मुर्मू का इस्तीफा ऐसे दिन आया है, जब (पूर्ववर्ती राज्य) जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने का एक वर्ष पूरा हुआ है.
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मुर्मू ने 29 अक्टूबर 2019 को जम्मू कश्मीर के प्रथम एलजी के रूप में कार्यभार संभाला था
गुजरात कैडर के 60 वर्षीय पूर्व आईएएस अधिकारी ने पिछले साल 29 अक्टूबर को इस केंद्र शासित प्रदेश के प्रथम एलजी के रूप में कार्यभार संभाला था. 1985 बैच के आईएएस अधिकारी मुर्मू के इस्तीफे के कारणों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. उल्लेखनीय है कि जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब मुर्मू ने उनके प्रधान सचिव के रूप में सेवाएं दी थीं. वह उप राज्यपाल के पद पर नियुक्ति के समय वित्त मंत्रालय में सचिव थे. बहरहाल पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के नेता मनोज सिन्हा अब जम्मू और कश्मीर के नए उपराज्यपाल होंगे.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रह चुके हैं मनोज सिन्हा
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मनोज सिन्हा मंत्री रह चुके हैं. उनके पास रेलवे के राज्यमंत्री और संचार राज्यमंत्री का कार्यभार था. मनोज सिन्हा पूर्व में गाजीपुर से सांसद रहे हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के बड़े चेहरे हैं. 2019 का लोकसभा चुनाव वो हार गए थे. भाजपा प्रत्याशी मनोज सिन्हा को गठबंधन के बसपा उम्मीदवार अफजाल अंसारी ने 119,392 मतों से हराया था. लोकसभा चुनाव में सिन्हा को 4.46 लाख मत, जबकि अंसारी को 5.66 लाख मत मिले थे.
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मनोज सिन्हा पहली बार 1996 में सांसद चुने गए थे
उन्हें 1989 में भाजपा राष्ट्रीय परिषद के सदस्य के रूप में शामिल किया गया. मनोज सिन्हा, लोकसभा में तीन बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य रह चुके हैं. वो तीनों बार गाजीपुर सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. मनोज सिन्हा पहली बार 1996 में सांसद चुने गए. इसके बाद 1999 और 2014 में भी चुनाव जीतने में कामयाब रहे. 2014 के चुनाव में उन्होंने सपा प्रत्याशी शिवकन्या कुशवाहा को हराया था.
जब मनोज सिन्हा के काम से नाराज हुए मोदी
मनोज सिन्हा को 2016 में रविशंकर प्रसाद से दूरसंचार मंत्रालय लेकर सौंपा गया था. बताया जाता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय उनके द्वारा मोदी की प्रमुख परियोजना भारतनेट का कामकाज सफलतापूर्वक पूरा नहीं किए जाने के कारण उनसे नाखुश था. इस परियोजना के तहत 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ा जाना था. उनके दूरसंचार मंत्री के कार्यकाल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की दो कंपनियों-बीएसएनएल और एमटीएनएल की स्थिति खराब हो गई थी.
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यूपी में 2017 में बीजेपी की जीत के बाद आया था CM पद की रेस में नाम
हालांकि, उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी, तब मनोज सिन्हा का नाम मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे थे. ऐसी चर्चाओं के बीच जब वह दिल्ली से वाराणसी पूजा करने पहुंच गए थे तो यही उम्मीद में थे कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. मगर पार्टी ने आखिर में योगी आदित्यनाथ को आगे कर दिया.
मनोज सिन्हा की गिनती मोदी के भरोसेमंद नेताओं में
उल्लेखनीय है कि मनोज सिन्हा की गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद नेताओं में होती है. ऐसे में एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार ने मनोज सिन्हा को बड़ी जिम्मेदारी दी है. बता दें कि मनोज सिन्हा का जन्म 1 जुलाई 1959 में वाराणसी में हुआ था. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) वाराणसी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक की डिग्री प्राप्त की है.
Source : News Nation Bureau