देश में पिछले चार सालों के अंदर करीब 44 जिले नक्सल प्रभाव से पूरी तरह से मुक्त हो गए या वहां उनकी नगण्य मौजूदगी है।
केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने कहा है कि पिछले चार सालों में रणनीतिक सुरक्षा व्यवस्था और विकास के कामों से नक्सली हिंसा कई जिलों में सिमट कर रह गई।
गौबा ने कहा, '44 जिलों में उग्र वामपंथी गुटों की मौजूदगी का प्रभाव खत्म हो गया या नगण्य रूप में हैं और नक्सली हिंसा सिर्फ 30 जिलों तक सिमट कर रह गई हैं।'
गृह सचिव ने कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क, पुल, टेलीफोन टावरों के निर्माण गरीब लोगों तक पहुंचा और इन जगहों पर हिंसा के खिलाफ जीरो टोलेरेंस की नीति अपनाई गई।
गृह मंत्रालय ने 10 राज्यों के 106 जिलों को उग्र वामपंथी प्रभावित जिले के रूप में चुना था।
इन जिलों में लगातार यातायात, संचार, गाड़ियों के विस्तार, नक्सलियों के सरेंडर के लिए खर्च, सुरक्षा बलों के लिए निर्माण जैसे कार्य सुरक्षा संबंधी खर्च (एसआरई) योजना के तहत किए गए।
गृह मंत्रालय ने हाल ही में कई राज्यों से सलाह करने के बाद प्रभावित जिलों में सुरक्षा बलों की तैनाती और जमीनी हकीकत में बदलाव को देखते हुए सूची बनाई जिसके बाद 44 जिलों को एसआरई से बाहर किया गया।
अधिकारी के मुताबिक एसआरई के तहत अब 90 जिले आते हैं और उग्र वामपंथी प्रभावित हिंसक जिलों की संख्या भी 35 से 30 पहुंच गई।
रिपोर्ट के अनुसार, 90 जिलों में से 32 जिले में पिछले कुछ सालों में हिंसा की घटनाएं नहीं हुई हैं और 58 जिलों में 2017 के दौरान हिंसा की घटनाएं हुईं।
हालांकि इस दौरान कुछ नए जिले भी सामने आए जिसे एसआरई की सूची में जोड़ा गया और वहां सुरक्षा बल तैनात किए गए।
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HIGHLIGHTS
- देश में नक्सली हिंसा सिर्फ 30 जिलों तक सिमट कर रह गई हैं
- 44 जिलों में उग्र वामपंथी गुटों की मौजूदगी का प्रभाव खत्म हो गया
- पिछले कुछ सालों में 32 जिले में पिछले कुछ सालों में हिंसा की घटनाएं नहीं हुई हैं
Source : News Nation Bureau