मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार से सुनवाई शुरू हो गई है. इस मामले को पांच जजों की बैंच 18 मार्च तक लगातार सुनेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आरक्षण को लेकर अन्य सरकारों को भी सुना जाना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाया जा सकता है? इसी के साथ ही सुनवाई को अब 15 मार्च तक के लिए टाल दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट राज्यों से जवाब के बाद किसी नतीजे पर पहुंचेगा.
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सुनवाई के दौरान वकील गोपाल शकंरनारायण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि आरक्षण के मसले पर कई राज्यों द्वारा मुद्दे उठाए गए हैं, जो अलग-अलग विषयों के हैं. आरक्षण से जुड़े अलग-अलग केस हैं, जो इस मामले से जुड़े हैं. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 122वीं अमेंडमेंट, आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण, जातियों में क्लासिफिकेशन जैसे मसलों को भी उठाया गया है. वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में आर्टिकल 342 A की व्याख्या भी शामिल है, जो सभी राज्यों को प्रभावित करेगा. इसलिए एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें सभी राज्यों को सुनना चहिए, सभी राज्यों को सुने बिना इस मामले में फैसला नहीं किया जा सकता है. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी इसी तरह के विचार कोर्ट के सामने रखे. कपिल सिब्बल ने सभी राज्यों से संवैधानिक सवाल किया गया, कोर्ट को सिर्फ केंद्र और महाराष्ट्र की सुनवाई नहीं करनी चाहिए, सभी राज्यों को नोटिस जारी करना चहिए.
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क्या है मामला ?
महाराष्ट्र में मराठाओं को आरक्षण देने की बात पिछले काफी दिनों से की जा रही है. साल 2018 में राज्य सरकार ने शिक्षा और नौकरी में 16 फीसदी आरक्षण देने के लिए कानून बनाया. हाईकोर्ट ने एक आदेश में इस समय सीमा को कम कर दिया. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो राज्य सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को बड़ी बैंच के पास भेज दिया है. इस कोर्ट सभी राज्यों से इस संबंध में जवाब मांगकर किसी नतीजे पर पहुंचेगा.
Source : News Nation Bureau