मराठा समुदायों को सरकारी नौकरी, कॉलेज में दाखिला आदि में आरक्षण दिए जाने जैसे मुद्दों को लेकर आज सातवें दिन सोमवार को भी प्रदर्शन जारी है।
पुणे में आज प्रदर्शनकारियों ने बस में आग लगा दी और याताटात को प्रभावित किया। बताया जा रहा है कि मराठा क्रांति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने पुणे-नासिक राष्ट्रीय राजमार्ग पर हंगामा किया है। मीडिया रेपिोर्ट्स में पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा जा रहा है कि उनकी मौजूदगी में भी सब कुछ होने दिया गया।
हालांकि हिंसक घटनाओं के बाद वहां धारा 144 लागू कर दी गई है यानि कि इन इलाक़ों में एक साथ 4 लोग इकट्ठा नहीं हो सकते।
वहीं एक सप्ताह से जारी इस प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं और विधायकों के साथ बैठक की। बैठक के बाद पार्टी ने राज्यपाल विद्यासागर राव को चिट्ठी लिखते हुए मामले में दखल देने की मांग की है। इसके साथ यह भी कहा है कि मराठा समुदाय के लोगों को 16 प्रतिशत आरक्षण देने की दिशा में शीघ्र विचार किया जाए।
इससे पहले शनिवार को शिवसेना सत्तारूढ़ सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर हमला बोलते हुए सुझाव दिया कि महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पंकजा मुंडे को सर्वसम्मति से एक घंटे के लिए मुख्यमंत्री बना दिया जाए, ताकि मराठा आरक्षण की फाइल को मंजूरी दी जा सके।
बता दें कि महाराष्ट्र की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे ने गुरुवार को यह कहकर सियासी भूचाल ला दिया था कि अगर मराठा आरक्षण की फाइल उनके पास आई होती तो वह बिना झिझक उसे मंजूरी दे दी होतीं, लेकिन अब मामला विचाराधीन हो गया है।
मुंडे की इस टिप्पणी के बाद शिवसेना का यह सुझाव आया है। पंकजा दिवंगत केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदा कैबिनेट सहयोगी के बयान का समर्थन करते हुए शिवसेना ने कहा कि अगर मुंडे एक घंटे के लिए मुख्यमंत्री बनती हैं तो कोई बाधा नहीं आएगी। वह पलक झपकते ही फाइल पर हस्ताक्षर कर देंगी और इसके बाद मराठा आरक्षण का मुद्दा शांत हो सकता है।
शिवसेना ने कहा, 'जैसा कि मुंडे दावा कर रही हैं, अगर वह ऐसा कर सकती हैं तो फडणवीस क्यों नहीं?'
मुंडे ने कहा था कि इस बाबत उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी संपर्क किया, जिसके बाद मुंडे के बयान को व्यापक रूप देते हुए शिवसेना ने कहा कि फडणवीस ऐसा क्यों नहीं करते।
बता दें कि मराठा सरकारी नौकरियों व शिक्षा में उचित आरक्षण की मांग कर रहे हैं और इसके लिए बीते दो सालों से शांतिपूर्ण आंदोलन होते रहे हैं, लेकिन, सोमवार (23 जुलाई) को औरंगाबाद में एक मराठा युवक की आत्महत्या की वजह से मंगलवार को यह आंदोलन हिंसक हो गया।
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Source : News Nation Bureau