Marriage Certificate: समाज में परिवार को सबसे छोटी इकाई माना गया है. जबकि परिवार की शुरुआत दो लोगों ( पुरुष व महिला ) की शादी से होती है. शादी के बाद जन्म लेने वाली उनकी संताने ही परिवार कहलाती हैं. शादी समाज में केवल दो लोग ही नहीं, बल्कि एख परिवार के बीच का रिश्ता है. शादी के बाद पति और पत्नी एक परिवार की तरह रहना शुरू कर देते हैं और जीवन में आगे निकल जाते हैं. ऐसे में लोग मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना भी जरूरी नहीं समझते. जबकि मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने के दंपत्ति को अनेक फायदे हो सकते हैं.
देश में बहुत कम लोगों को यह जानकारी है कि केवल शादी कराना ही नहीं, बल्कि उसको रजिस्टर्ड कराना भी बहुत जरूरी होता है. अगर आप शादीशुदा हैं और आपने मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बनवाया है तो आपके लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. भारत में शादी का रजिस्ट्रेशन हिंदू मैरिज एक्ट 1955 और स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत होता है.
जानें क्या हैं मैरिज सर्टिफिकेट के फायदे-
- सरकारी या गैर सरकारी संस्थानों में शादी के सबूत के लिए मैरिज सर्टिफिकेट का होना जरूरी है.
- देश में पति-पत्नी के लिए गई किसी भी सरकारी योजना का लाभ उठाने के लिए आपके पास मैरिज सर्टिफिकेट का होना जरूरी है.
- पति के बाद विधवा महिलाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत होती है.
- पति या पत्नी के खिलाफ किसी भी एफआईआर या वाद के लिए मैरिज सर्टिफिकेट का होना जरूरी है.
- तलाक के आवेदन के लिए भी आपके पास मैरिज सर्टिफिकेट होना चाहिए.
- किसी दूसरे देश की नागरिकता लेने के लिए भी दंपति के पास मैरिज सर्टिफिकेट होना चाहिए.
- बैंक में जॉइंट अकाउंट ऑपन कराने के लिए भी मैरिज सर्टिफिकेट का होना जरूरी है.
मैरिज सर्टिफिकेट के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स-
- एप्लिकेशन फॉर्म
- एड्रेस प्रूफ
- कपल का एज सर्टिफिकेट
- कपल का आईडी कार्ड
- आधार कार्ड
- दो-दो पासपोर्ट साइज फोटो
- शादी की जॉइंट फोटो
- वेडिंग कार्ड
- मंदिर. गुरुद्वारा, चर्च में हुई शादी का सर्टिफिकेट
- दो गवाह
- दूसरी शादी पर पहली शादी का तलाक सर्टिफिकेट
- पहले पति की मौत पर डेथ सर्टिफिकेट
- कोर्ट मैरिज पर कोर्ट के कागज
Source : News Nation Bureau