कश्मीर में आतंकवाद के सफाए के लिए चलाये जा रहे ऑपरेशन ऑलआउट से बौखलाए आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने दक्षिण कश्मीर के अवंतीपुरा में सुरक्षाबलों के खिलाफ बड़े हमले को अंजाम दिया जिसमें सीआरपीएफ के 42 से ज्यादा जवान शहीद हो गए. सीआरपीएफ के काफिले को पहले फिदायीन हमले में उड़ाया गया और उसके बाद आतंकियों ने बस पर जबरदस्त फायरिंग शुरू कर दी. आतंकियों ने उस बस को निशाना बनाया जिसमें सबसे ज्यादा जवान सवार थे. आईईडी से हुआ धमाका इतना जबरदस्त था कि बस के परखच्चे उड़ गए और शहीद जवानों के अंग सड़कों पर बिखर गए. बताया जा रहा है कि 70 गाड़ियों का सीआरपीएफ का यह पूरा मूवमेंट जम्मू से श्रीनगर की तरफ जा रहा था. 18 सितंबर 2016 को उरी में आतंकियों के बेस कैंप पर हुए हमले के बाद यह जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों पर सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है. उरी हमले में 18 जवान मारे गए थे जिसके बाद भारतीय सेना ने ठीक 10 दिन बाद 29 सितंबर को पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर 50 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया था.
काफिले में चल रहे थे 2400 जवान
गौरतलब है कि खुफिया विभाग ने एक हफ्ते पहले ही सुरक्षाबलों के खिलाफ इस तरह के हमले की आशंका जताई थी और कहा था कि आतंकी काफिले के रास्ते में आईईडी ब्लास्ट कर सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सीआरपीएफ की तीन बटालियन का मूवमेंट हो रहा था जिस दौरान आतंकियों ने हमला बोला. बताया जा रहा है कि इन तीनों बटालियनों में करीब 2400 सीआरपीएफ के जवान शामिल थे. सीआरपीएफ के एक बटालियन में 800 जवान होते हैं और इनके मूवमेंट में करीब 70 गाड़ियां थीं.
आदिल नाम के आतंकी ने दिया घटना को अंजाम
बताया जा रहा है कि इस बड़े हमले को फिदायीन आतंकी आदिल अहमद ने अंजाम दिया है. आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के प्रवक्ता मोहम्मद हसन ने एक बयान जारी कर कहा, जवानों के दर्जनों गाड़ियों को धमाके में बर्बाद कर दिया गया. प्रवक्ता ने बारूद से लदे गाड़ी के ड्राइवर का नाम आदिल अहमद बताया जो कि कश्मीर के गुंडी बाग (पुलवामा) का ही रहने वाला था
मौलाना मसूद अजहर हमले का मास्टरमाइंड
आपको बता दे कि जिस आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने इस घटना की जिम्मेदारी ली है उसका मुखिया मौलाना मसूद अजहर पाकिस्तान सरकार के छत्र-छाया में रहता है. मौलान मसूद अजहर का संगठन इससे पहले भी भारत में कई आतंकी घटना को अंजाम दे चुका है. बीते साल भारत ने उस संयुक्त राष्ट्र संघ में वैश्विक आतंकी घोषित करवाने की पूरी कोशिश की थी लेकिन चीन की विरोध की वजह से ऐसा नहीं हो पाया.
Source : News Nation Bureau