हॉलीवुड एक्ट्रेस एलिसा मिलानो ने #MeToo अभियान शुरू किया, जिसके तहत दुनियाभर की महिलाएं यौन शोषण की घटनाओं का खुलासा कर रही हैं. आम से लेकर सेलिब्रिटी तक अपने साथ हुई घटनाओं को पूरी दुनिया के सामने ला रही है. मी टू कैंपेन में न सिर्फ सेलिब्रिटी बल्कि पत्रकार भी खुलकर बोल रहे हैं. फिल्म इंडस्ट्री से 'मी टू' अभियान की शुरुआत होने के बाद इसकी चपेट में मीडिया जगत भी आ गया है और इसकी लपटें मोदी सरकार के एक मंत्री को अपने लपेटे में ले रही हैं.
केंद्रीय मंत्री पर छह महिला पत्रकारों ने पूर्व संपादक अकबर पर यौन उत्पीड़न और अनुचित व्यवहार के आरोप लगाए हैं. अखबार 'द टेलीग्राफ' ने मंगलवार को रमानी और न्यूज पोर्टल फर्स्टपोस्ट में एक अनाम लेखिका के ट्वीट पर आधारित खबर चलाई। संयोग की बात है कि अकबर द टेलीग्राफ के संस्थापक संपादक रह चुके हैं. पत्रकार ने सोमवार को एक लेख के बारे में ट्वीट किया, जिसे उन्होंने 2017 में वोग पत्रिका के लिए लिखा था।
इस पूरे मामले पर केंद्रीय विदेश राजयमंत्री एम. जे अकबर पर लगे यौन दुर्व्यवहार के आरोपों पर केंद्र सरकार ने चुप्पी साधी हुई है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अकबर पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप पर जवाब नहीं दिया. केंद्रीय मंत्री पर लगे आरोप सामने आने के बाद राजनीतिक खेमे में हलचल शुरू हो गई है. विपक्ष लगातार एम जे अकबर के इस्तीफे की मांग कर रहा है. कांग्रेस ने मंत्री के इस्तीफे की मांग की है.
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्रीय मंत्री अकबर को मंत्रिमंडल से हटाए जाने की मांग की. ओवैसी ने कहा, 'तीनों पत्रकार केंद्रीय मंत्री अकबर का असली चेहरा दुनिया के सामने लाईं है. मेरी मांग है कि पीएम तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अकबर को हटाएं. हम इंतजार करेंगे कि प्रधानमंत्री इसपर ऐक्शन लेंगे.'
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता एस जयपाल रेड्डी ने संववदाताओं से बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री के इस्तीफे की मांग की .उन्होंने कहा कि एम जे अकबर स्पष्टीकरण दे या इस्तीफ़ा दें. बता दें कि पिछले कुछ दिन पहले बॉलीवुड एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर के खिलाफ मोर्चा खोला था. इसके बाद कई एक्ट्रेस, प्रोड्यूसर और राइटर ने अपने साथ हुए इन कड़वे अनुभव को बेबाकी से पूरी दुनिया के सामने रखा.