मक्का मस्जिद विस्फोट में सभी पांच आरोपियों को दोषमुक्त करार दिए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया में आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि इस मामले में न्याय नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि इस फैसले से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कमजोर होगी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत के फैसले पर ओवैसी ने कहा कि मामले की पक्षपातपूर्ण जांच हुई। एनआईए के राजनैतिक आकाओं ने मामले को ठीक से आगे नहीं बढ़ाने दिया।
ट्वीट की एक श्रृंखला में ओवैसी ने कहा कि एनआईए और मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने आरोपियों को दी गई जमानत के खिलाफ 90 दिनों की अवधि के अंदर अपील तक नहीं की थी।
उन्होंने कहा, "जून 2014 के बाद गवाह अपनी गवाही से मुकरने लगे। वे सही बयान नहीं दे सके। पीड़ितों को परास्त करने के लिए सब कुछ किया गया। आज की दोषमुक्ति ने आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई को कमजोर किया है।"
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विशेष अदालत ने सोमवार को दक्षिणपंथी हिंदू समूह के सदस्यों को इस मामले में यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष इनके खिलाफ सबूत नहीं दे सका।
हैदराबाद की विख्यात मक्का मस्जिद में 18 मई, 2007 को हुए विस्फोट में नौ लोग मारे गए थे और 58 अन्य घायल हुए थे। विस्फोट के खिलाफ मस्जिद के बाहर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस गोलीबारी में भी पांच लोग मारे गए थे।
विस्फोट के फौरन बाद पुलिस ने इसके लिए हरकत-उल-जिहाद इस्लामी को जिम्मेदार बताते हुए शहर के लगभग 100 युवाओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। बाद में सीबीआई ने कहा था कि यह कांड दक्षिणपंथी हिंदू समूह की कारस्तानी है।
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Source : IANS