गुजरात में सरदार सरोवर बांध की वजह से मध्य प्रदेश के नर्मदा घाटी के विस्थापित लोगों के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने 3 दिन के लिए जल सत्याग्रह रोक दिया है।
नर्मदा घाटी में जलस्तर कम होने के बाद तीन दिनों से चला आ रहा जल सत्याग्रह को रोक दिया गया है। लेकिन आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर फिर जल स्तर बढ़ा तो वो दोबारा जल सत्याग्रह शुरू कर देंगे।
नर्मदा बचाओ आंदोलन का नेतृत्व कर रहीं समाजसेवी मेधा पाटकर ने दूसरी तरफ गुजरात सरदार सरोवार बांधे का पीएम मोदी ने जो लोकार्पण किया है उसे भी असंवैधानिक बताया है।
गुजरात के सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने से की वजह से मध्यप्रदेश के 192 गांव और एक नगर डूबने वाले क्षेत्र में आ गए हैं, क्योंकि बैक वाटर इन्हीं गांवों में भरने लगा है। इस वजह से 40 हजार परिवारों को अपना घर, गांव छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है।
गुजरात के लिए नर्मदा के सभी गेट खोल दिए जाने से जलस्तर लगातार बढ़ने लगा और गांवों में पानी भरने लगा। इसके विरोध में मेधा लगभग 30 लोगों के साथ शुक्रवार दोपहर से ही छोटा बरदा गांव के नर्मदा घाट की 17वीं सीढ़ी पर बैठीं थी, क्योंकि 16वीं सीढ़ी डूब चुकी थी। पानी लगातार बढ़ रहा था। जल सत्याग्रह के तीसरे दिन रविवार को दोपहर के बाद जलस्तर थम गया।
मेधा ने पत्रकारों से कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सरदार सरोवर बांध का लोकार्पण करना पूरी तरह अवैधानिक है, क्योंकि यह बांध चार राज्यों- गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान से संबंधित है।
मेधा पाटकर का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद प्रभावितों को न तो मुआवजा दिया गया है और न ही उनका बेहतर पुनर्वास किया गया है। उसके बावजूद बांध का जलस्तर बढ़ाया गया।
HIGHLIGHTS
- समाजसेवी मेधा पाटकर ने तीन दिनों के लिए रोका जल सत्याग्रह
- नर्मदा आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं मेधा पाटकर
Source : News Nation Bureau