मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले स्थित बाढ़ के पानी से भरी 370 फीट गहरी कोयला खदान के अंदर नौसेना की टीम को तीसरा शव दिखा है. जिस शव को देखा गया है वह कंकाल बन चुकी है. इससे पहले पूरी तरह से क्षत-विक्षत दो शवों को देखा गया था, जिसमें 24 जनवरी को एक शव को निकाला गया था. तीसरे शव का पता खदान के 150 फीट पर लगा है.
खदान में बीते साल 13 दिसंबर को 15 मजदूर फंसे थे. रविवार को घटना के 74वें दिन भी बचाव अभियान जारी रहा. नौसेना, एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) और दूसरी एजेंसियों के साथ सेना भी इस अभियान में शामिल हो चुकी है.
रविवार को नौसेना की अंडरवॉटर रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (यूआरओवी) के जरिए गहरे कोयला खदान में तीसरे खनिक के कंकाल का पता लगा. अधिकारी ने कहा कि उसे निकालने का प्रयास किया जा रहा है.
अभियान के प्रवक्ता आर सुसंगी ने बताया कि जिस शव का पता लगा है वह पूरी से गला हुआ है. खदान से पानी निकालने का काम अब भी जारी है. अभी तक मात्र एक ही शव बाहर निकाला गया है.
सुप्रीम कोर्ट इस अभियान का करीब से निगरानी कर रहा है और सोमवार को इस मामले पर सुनवाई भी हो सकती है. राज्य सरकार ने खदान पीड़ितों के परिवारों को अंतरिम सहायता के रूप में 1 लाख रुपये दी थी.
इससे पहले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि बुरी तरह से क्षत-विक्षत शव को अंडरवॉटर रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (यूआरओवी) के जरिए पानी की सतह पर लाया गया था और उसके बाद बाहर निकाला गया था.
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जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय सरकार से कहा था कि हम राहत अभियान के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशन से संतुष्ट नहीं हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, यह एक बहुत गंभीर स्थिति है और यह खदान में फंसे 15 खनिकों के जीवन और मौत का सवाल है. एक-एक सेकंड कीमती है, जरूरत पड़े तो सेना की मदद ली जाय. कोर्ट ने कहा था कि अगर थाईलैंड में हाई पावर पंप भेजे जा सकते हैं तो मेघालय में क्यों नहीं.
Source : News Nation Bureau