देश में एक जुलाई से तीन आपराधिक कानून लागू होने वाले है. इसके बाद आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य संहिता ले लेंगे. तीनों आपराधिक कानूनों पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था से ब्रिटिश काल के तीन कानूनों को जल्द न्याय दिलाने के उद्देश्य से बदला गया है. हरियाणा में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अब सात साल या उससे अधिक समय की सजा वाले जुर्मों के लिए फॉरेंसिक टीम का दौरा अनिवार्य कर दिया गया है. देश भर में नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए मानव संसाधन तैयार करना सबसे अहम है.
अमित शाह ने की 150 बैठकें
कानून मंत्री ने हाल ही में बताया था कि गृहमंत्री अमित शाह ने इसके लिए करीब 50 बैठकें की थी. उन्होंने करीब 100 अनौपचारिक बैठकें भी की. बिल को संसद में जब पेश किया गया तो इसे एक समिति के पास भेजने के लिए कहा गया. हमने इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजा. इस पर दोबारा व्यापक परामर्श किया गया. तीनों कानूनों को 21 दिसंबर को संसद से कानून की मंजूरी मिली. राष्ट्रपति मुर्मू ने 25 दिसंबर को इस पर अपने हस्ताक्षर किए. गृह मंत्रालय की अधिसूचनाओं के अनुसार, अब एक जुलाई को इन्हें लागू किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि इन सबके बाद 2019 में तीन कानून का प्रस्ताव आया. इस पर परामर्श लिए गए. गृहमंत्रालय ने सभी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों और भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजा. सभी राज्यों की सरकारों, लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को भी पत्र लिखा गया. कानून की पढ़ाई करने वाले छात्रों, बार एसोसिएशनों और बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी सझाव दिए. सभी ने संशोधन के लिए सहमति व्यक्त की.
कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने भी कसी कमर
बता दें, कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने इसकी तैयारियां पूरी कर ली है. देश भर में 5.65 लाख से अधिक पुलिस, जेल, फोरेंसिक, न्यायिक अभियोजन अधिकारियों को आपराधिक कानूनों में प्रशिक्षित किया गया है. इसके अलावा, 40 लाख जमीनी स्तर के अधिकारियों को विभिन्न मंत्रालयों ने वेबिनार के माध्यम से कानूनों की जानकारी दी है. इन लोगों की जिम्मेदारी है कि भारत के सभी नागरिक को नए कानून की जानकारी दे सकें.
Source : News Nation Bureau