1999 करगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले या यूं कहे कारगिल युद्ध का 'हीरो' भारतीय वायुसेना का मिग-27 लड़ाकू विमान को आज अलविदा कह दिया गया है. इस 'बहादुर' लड़ाकू विमान ने आज अपनी आखिरी उड़ान भरी. भारतीय वायुसेना 7 विमानों के अपने स्क्वाड्रन को जोधपुर एयरबेस से विदाई दी गई. यहीं से इस विमान ने अपनी पहली उड़ान भरी थी. बता दें कि मिग 27 का उन्नत संस्करण 2006 से वायुसेना के स्ट्राइक फ्लीट का गौरव रहा है. अन्य सभी संस्करण जैसे मिग- 23 बीएन और मिग- 23 एमएफ और विशुद्ध मिग-27 वायुसेना से पहले ही रिटायर हो चुके हैं.
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इस विमान ने ऑपरेशन पराक्रम में सक्रिय भूमिका निभाई
भारतीय वायुसेना के ग्राउंड अटैक बेड़े की रीढ़ रहे मिग-27 विमान ने तीन दशक से अधिक समय तक अपनी सेवा दी है. 29 स्क्वाड्रन वायुसेना में मिग 27 अपग्रेड विमानों को संचालित करने वाली एकमात्र इकाई है. 29 स्क्वाड्रन की स्थापना 10 मार्च 1958 को वायुसेना स्टेशन हलवारा में ओरागन (तूफानी) विमान से की गई थी. वर्षों तक स्क्वाड्रन को कई तरह के विमानों से लैस किया गया, जिसमें मिग-21 टाइप 77, मिग 21 टाइप 96, मिग 27 एमएल और मिग 27 अपग्रेड शामिल हैं. उन्नत संस्करण ने कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अभ्यासों में हिस्सा लिया है.
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1985 में भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हुआ
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस बेड़े ने ऐतिहासिक करगिल युद्ध के दौरान गौरव हासिल किया था, जब इसने दुश्मन के ठिकानों पर राकेट और बम सटीकता से गिराए थे. इस बेड़े ने ऑपरेशन पराक्रम में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी. इस विमान को भारतीय वायुसेना के बेड़े में 1985 में शामिल किया गया. यह अत्यंत सक्षम लड़ाकू विमान जमीनी हमले की क्षमता का आधार रहा है. वायु सेना के सभी प्रमुख ऑपरेशन्स में भाग लेने के साथ मिग-27 ने 1999 के कारगिल युद्ध में भी एक अभूतपूर्व भूमिका निभाई थी. दुनिया के अन्य देश इस विमान को पहले ही अपने बेड़े से रिटायर कर चुके हैं. अब इस लिस्ट में भारत का भी नाम शामिल हो गया है. तीन दशकों तक सेवा देने के बाद इस विमान को भारतीय वायुसेना आज सेवा से हटा दिया जाएगा.
Source : News Nation Bureau