देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन को लेकर मचे हाहाकार के बीच रक्षा मंत्रालय ने जर्मनी से 23 ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट को हवाई मार्ग से लाने का फैसला किया है. ये प्लांट अगले एक हफ्ते में भारत आ जाएंगे. इन्हें वायु सेना के परिवहन विमानों से एयरलिफ्ट किया जाएगा। वे आसानी से इधर-उधर स्थापित किए जा सकते हैं. अभी उसके लिए कागजी प्रक्रिया चल रही है. मंत्रालय ने यह फैसला ऐसे समय में किया है जब कोरोना वायरस संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच कई राज्यों को मेडिकल ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है.
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सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि उन ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र की क्षमता प्रति मिनट 40 और प्रति घंटे 2400 लीटर है. इसका सबसे बड़ा लाभ यह भी होगा कि इस संयत्रों को आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जा सकता है. इससे ऑक्सीजन की आपूर्ति तेजी से संभव हो सकेगी. रक्षा मंत्रालय के प्रधान प्रवक्ता ए भारत भूषण बाबू ने बताया कि इन संयंत्र को आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल सर्विसेज (एएफएमएस) में कोरोना संक्रमण से पीड़ितों के इलाज के लिए स्थापित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि ||ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र को एक सप्ताह के भीतर एयरलिफ्ट कर लिया जाएगा.
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मंत्रालय का यह निर्णय तब आया है जब चार दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महामारी के मद्देनजर चिकित्सा आधारभूत ढांचे को बेहतर बनाने के उद्देश्य से जरूरी खरीद के लिये तीनों सेवाओं ओर अन्य रक्षा एजेंसियों को आपात वित्तीय अधिकारी प्रदान करने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा कि आक्सीजन उत्पादन करने वाले संयंत्र के एक सप्ताह के भीतर हवाई मार्ग से लाने की उम्मीद है. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि जरूरी कागजी कार्य पूरा होने पर भारतीय वायु सेना को जर्मनी से संयंत्र लाने के लिये विमान को तैयार रखने को कहा गया है. उन्होंने बताया कि विदेशों से और ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र की खरीद की जा सकती है.