दिल्ली की एक अदालत बुधवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और जानेमाने पत्रकार एम. जे. अकबर द्वारा साथी महिला पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले में फैसला सुना सकती है . एडिशनल चीफ़ मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे दोनों पक्षों की मौजूदगी में एक ओपन कोर्ट में यह फ़ैसला सुनाएंगे. 10 फ़रवरी को दोनों पक्षों की बहस के बाद कोर्ट ने फ़ैसला 17 फ़रवरी तक के लिए स्थगित कर दिया था. रमानी की वकील रेबेका जॉन ने कोर्ट से मांग की थी कि उनकी मुवक्किल को इस मामले में बरी कर दिया जाए. वहीं अकबर की वकील गीता लूथरा ने ज़ोर देते हुए कहा था कि रमानी के आरोपों के कारण अकबर की छवि ख़राब हुई है.
2017 में, रमानी ने वोग के लिए एक लेख लिखा जहां उन्होंने नौकरी के साक्षात्कार के दौरान पूर्व बॉस द्वारा यौन उत्पीड़न किए जाने के बारे में बताया. एक साल बाद, उन्होंने खुलासा किया कि लेख में उत्पीड़न करने वाले व्यक्ति एम.जे. अकबर थे. अकबर ने अदालत को बताया कि रमानी के आरोप काल्पनिक थे और इससे उनकी प्रतिष्ठा और छवि को नुकसान पहुंचा है. दूसरी ओर, प्रिया रमानी ने इन दावों का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने विश्वास, सार्वजनिक हित और सार्वजनिक भलाई के लिए ये बातें सबके सामने लाईं. रमानी पर मानहानि का मामला अकबर पर यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाने के बाद दायर किया गया था. 2018 में हैशटैगमीटू मूवमेंट के मद्देनजर, रमानी ने अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. जिसके बाद उन्होंने रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया और केंद्रीय मंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. ट्रायल 2019 में शुरू हुआ और लगभग दो साल तक चला.
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2017 में, रमानी ने वोग के लिए एक लेख लिखा जहां उन्होंने नौकरी के साक्षात्कार के दौरान पूर्व बॉस द्वारा यौन उत्पीड़न किए जाने के बारे में बताया. एक साल बाद, उन्होंने खुलासा किया कि लेख में उत्पीड़न करने वाले व्यक्ति एम.जे. अकबर थे. अकबर ने अदालत को बताया कि रमानी के आरोप काल्पनिक थे और इससे उनकी प्रतिष्ठा और छवि को नुकसान पहुंचा है. दूसरी ओर, प्रिया रमानी ने इन दावों का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने विश्वास, सार्वजनिक हित और सार्वजनिक भलाई के लिए ये बातें सबके सामने लाईं.
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अगर इस मामले में रमानी दोषी पाई गईं तो हो सकती है सजा
यदि रमानी दोषी पाई जाती हैं, तो उन्हें दो साल तक कैद या जुमार्ना या दोनों हो सकता है. एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने 1 फरवरी को शिकायतकर्ता एम.जे. अकबर की वकील एडवोकेट गीता लूथरा और प्रिया रमानी की वकील रेबेका जॉन की दलीलों को सुनने के बाद मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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ये है पूरा मामला
महिला पत्रकार ने अक्टूबर 2018 में मी टू (Me Too) अभियान के तहत ट्वीट कर एमजे अकबर पर आरोप लगाया था कि तीस साल पहले उन्होंने उसका यौन शोषण किया था. इस आरोप के बाद अकबर को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. अकबर ने महिला पत्रकार के आरोपों का खंडन करते हुए महिला पत्रकार पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था.उन्होंने रमानी के खिलाफ शिकायत दायर करने से पहले कहा था कि वह इस बात से अवगत हैं कि कई अन्य महिलाओं ने भी उनके खिलाफ आरोप लगाए हैं लेकिन वह किसी और के खिलाफ मानहानि की शिकायत दायर नहीं करेंगे.
HIGHLIGHTS
- पूर्व केंद्रीय मंत्री पर पत्रकार प्रिया रमानी के आरोप
- साल 2018 में मी टू (Mee Too) के तहत बताई बात और किया केस
- एम जे अकबर ने किया रमानी पर मानहानि का केस
Source : News Nation Bureau