तीन तलाक, धारा 370 और देश भर में नागरिकता कानून पर मचे बवाल के बीच सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने पर विचार शुरू कर दिया है. इस सिलसिले में नीति आयोग शुक्रवार को जनसंख्या नियंत्रण पर एक महत्वपूर्ण बैठक कर रहा है. बैठक में जनसंख्या नियंत्रण का मसौदा तैयार किया जाएगा. माना जा रहा है कि आज हो रही इस बैठक में परिवार नियोजन को और प्रभावी बनाने के तौर-तरीकों पर भी विचार हो सकता है. हालांकि आयोग ने कहा है कि गर्भ निरोधक के विकल्प को बढ़ावा देने और इस बाबत सूचनाओं को महिलाओं तक पहुंचाने पर विचार-विमर्श होगा. माना जा रहा है कि यह मसला भी आसानी से लोगों के गले नहीं उतरेगा.
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नीति आयोग आज कर रहा बैठक
आज की बैठक में जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन को और भी सशक्त बनाए जाने पर चर्चा होगी. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के मुताबिक, यह सिर्फ एक सुझाव देने के लिए बैठक बुलाई गई है. आयोग के मुताबिक भारत में जन्मदर तो कम हो रही है, लेकिन जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है. आज हो रही बैठक में पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया विषय से जुड़े जानकर, विशेषज्ञ और अधिकारी हिस्सा लेंगे. जनसंख्या नियंत्रण का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए बैठक में चर्चा होगी.
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पीएम मोदी ने भी की थी वकालत
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इसी साल अपने लालकिला से दिए भाषण में जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था. प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत की जनसंख्या तकरीबन 1.37 अरब है, जो विश्व में दूसरे स्थान पर है. जाहिर है कि जनसंख्या नियंत्रण पर नीति बनाना मोदी सरकार की प्राथमिकता में है. आज की बैठक में सिर्फ इस मुद्दे पर विचार होगा और निष्कर्ष की जानकारी सरकार को दी जाएगी. इस कंसल्टेशन से निकले सुझावों पर नीति आयोग एक वर्किंग पेपर तैयार करेगा. जिसमें जनसंख्या नियंत्रण का एक व्यापक विजन होगा.
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हालांकि प्रजनन दर में कुछ कमी आई
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे यानी NFHS के 2015-16 के आंकड़ों को देखें तो जनसंख्या प्रति महिला 2.2 के करीब आ चुकी है. 2005-06 में यह 2.7 थी. यानी पहले की तुलना में अब प्रजनन दर में गिरावट आयी हैं. शहरी औरतों में यह दर 1.8 बच्चा प्रति महिला है जबकि ग्रामीण महिलाओं में 2.4. प्रजनन दर सिक्किम में सबसे कम 1.2 जबकि बिहार में सबसे ज्यादा 3.4 है. यानी बिना किसी कानून के ही शहरों में जनसंख्या नियंत्रण चल रहा है, इसकी वजह चाहे स्कूलों की फीस हो या कोई और पर 2 चाइल्ड पॉलिसी यहां तो कामयाब होने से रहा.
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मुस्लिमों में प्रजनन दर ज्यादा
अगर धर्मों के अनुसार ये आंकड़े देखें तो हिंदुओं में प्रजनन दर 2.1 है और मुस्लिमों में 2.6. अगर 1992-93 में प्रति महिला 3.8 बच्चों का औसत था. यानी करीब 30 सालों में ये संख्या करीब 1.4 कम हुई है. अच्छी बात ये है कि हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों में बच्चे पैदा करने की संख्या का अंतर घटा है.यानी दोनों ही समुदायों ने जनसंख्या नियंत्रण करने में अपना योगदान दिया है. 1992-93 में ये अंतर सबसे अधिक 33.6 फीसदी था, जो करीब 30 वर्षों में 23.8 फीसदी हो गया है.
HIGHLIGHTS
- नीति आयोग शुक्रवार को जनसंख्या नियंत्रण पर एक महत्वपूर्ण बैठक कर रहा है.
- प्रजनन दर में गिरावट आयी हैं. शहरी औरतों में दर 1.8 तो ग्रामीण महिलाओं में 2.4 है.
- धर्मों के अनुसार हिंदुओं में प्रजनन दर 2.1 है और मुस्लिमों में 2.6 है.
Source : News Nation Bureau