अगले साल यूपी, पंजाब सहित कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने बड़ा दांव खेला है. मोदी सरकार इसी सप्ताह ओबीसी आरक्षण से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को संसद में पेश कर सकती है. इस विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. इस विधेयक में राज्यों को ओबीसी की सूची तैयार करने का अधिकार फिर से देने का प्रावधान है. सूत्रों का कहना है कि सरकार इस विधेयक जल्द संसद से पास कराने की कोशिश में है. यह विधेयक इसलिए लाना पड़ा क्योंकि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची तैयार करने पर राज्यों के अधिकार पर रोक लगा दी थी.
यह भी पढ़ेंः 1 हजार गुना अधिक वायरस होते हैं डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित मरीजों की नाक में
दरअसल राज्य सरकारें ओबीसी की सूची का निर्धारण खुद करती हैं. जबकि केंद्रीय सेवाओं के लिए केंद्र अलग से करता है. दरअसल, न्यायालय ने 5 मई के बहुमत आधारित फैसले की समीक्षा करने की केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें यह कहा गया था कि 102वां संविधान संशोधन नौकरियों एवं दाखिले में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े (एसईबीसी) को आरक्षण देने के राज्य के अधिकार को ले लेता है.
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2018 के 102वें संविधान संशोधन अधिनियम में अनुच्छेद 338 बी जोड़ा गया था, जो राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के ढांचे, कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है. जबकि 342 ए किसी विशिष्ठ जाति को एसईबीसी अधिसूचित करने और सूची में बदलाव करने के संसद के अधिकारों से संबंधित है. गौरतलब है कि विपक्षी दल ने इस मुद्दें को लेकर केंद्र पर संघीय ढांचे पर आघात करने का आरोप लगाया है.
यह भी पढ़ेंः बाढ़ का जायजा लेने गए मंत्री नरोत्तम मिश्रा खुद फंसे, करना पड़ा एयरलिफ्ट
वहीं, सामाजिक न्याय एवं अधिकारित मंत्री वीरेन्द्र कुमार ने पिछले महीने राज्य सभा में कहा कि सरकार इस मुद्दे को लेकर कानूनी विशेषज्ञों और विधि मंत्रालय से विचार विमर्श कर रही है और ओबीसी सूची का निर्धारण करने के राज्यों के अधिकारों की सुरक्षा के रास्ते तलाश रही है. सूत्रों ने बुधवार को बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें राज्यों एवं संघ क्षेत्रों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची तैयार करने का आधिकार प्रदान किया गया है.