केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों को रुकी हुई वार्ता फिर से शुरू करने का प्रस्ताव भेजकर उनसे नए कृषि कानूनों को लेकर बने गतिरोध को खत्म करने के लिये अपनी सुविधा के अनुसार कोई तिथि तय करने के लिये कहा है. इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान किसानों को संबोधित करेंगे. हालांकि आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि वार्ता के लिए सरकार का नया पत्र कुछ और नहीं, बल्कि किसानों के बारे में एक दुष्प्रचार है ताकि यह प्रदर्शित किया जा सके कि वे बातचीत को इच्छुक नहीं हैं. साथ ही किसान संगठनों ने सरकार से वार्ता बहाल करने के लिए एजेंडे में तीन नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने को भी शामिल करने को कहा. केंद्र के पत्र पर चर्चा करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के शुक्रवार को बैठक करने और इसका औपचारिक जवाब देने की संभावना है.
एमएसपी पर किसान संघठनों में फंसा पेंच
दिल्ली के तीन प्रवेश स्थानों सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बार्डर पर पिछले लगभग महीने भर से इस मोर्चे के बैनर तले 40 किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं. कृषि मंत्रालय ने नया प्रस्ताव भेजने के साथ ही स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित किसी भी नयी मांग को एजेंडे में शामिल करना तार्किक नहीं होगा, क्योंकि यह नए कृषि कानूनों के दायरे से परे है. हालांकि यूनियनों ने कहा कि विवादित कानूनों को रद्द करने की मांग से एमएसपी को अलग नहीं रखा जा सकता. उन्होंने कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी देना उनके आंदोलन का महत्वपूर्ण बिंदू है. मंत्रालय ने कहा कि वह प्रदर्शनकारी किसानों के मुद्दों का तार्किक हल खोजने के लिये तैयार है.
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पीएम मोदी आज देंगे किसानों को 18 हजार करोड़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को एक बटन दबाकर नौ करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों के खातों में 18 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि हस्तांतरित करेंगे. यह धनराशि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत वित्तीय लाभ की अगली किस्त के रूप में जारी की जाएगी. प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान मोदी छह राज्यों के किसानों से संवाद भी करेंगे तथा किसान सम्मान निधि और किसानों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा की गई अन्य पहल के बारे में अपने अनुभव साझा करेंगे.
कांग्रेस किसान आंदोलन पर सरकार पर हमलावर
इस बीच कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ हमालवर रुख अपनाते हुए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से संसद का संयुक्त सत्र बुलाने का आग्रह किया है. पार्टी नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारत में लोकतंत्र केवल 'काल्पनिक' रह गया है. गांधी ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. बताया जा रहा है कि इस पर 2 करोड़ किसानों ने हस्ताक्षर कर कानून निरस्त करने की मांग की है. गांधी ने कहा कि इससे किसानों और मजदूरों को फायदा नहीं होगा.
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केंद्र ने कांग्रेस को दी चुनौती
केंद्र ने यह कहते हुए कानून वापस लेने की मांग खारिज कर दी कि सुधारों से किसानों को फायदा होगा. भाजपा ने राहुल गांधी को चुनौती दी कि वह इस बारे में खुली बहस कर लें कि कांग्रेस ने सत्ता में रहने के दौरान किसानों के लिए क्या किया और मोदी सरकार ने क्या किया है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने किसानों के हितों की अनदेखी की तथा अनाज के सस्ते दाम सुनिश्चित कर उन्हें गरीब बनाए रखने का काम किया, लेकिन मोदी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से किसानों को उचित दाम उपलब्ध कराने के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को क्रियान्वित कर उन्हें सशक्त बनाया है.
पांच दौर की वार्ता रही अनिर्णायक
सरकार और किसान संगठनों के बीच पिछले पांच दौर की वार्ता का अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है. दिल्ली की सीमाओं पर लगभग एक महीने से प्रदर्शन कर रहे किसान तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं. हालांकि सरकार ने अपने नए पत्र में संकल्प व्यक्त किया है कि वह किसान यूनियनों द्वारा उठाए गए मुद्दों का तार्किक समाधान खोजने के लिए तैयार है. नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान लगभग एक महीने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें ज्यादातर किसान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से हैं.