मोदी सरकार ने HAL में बने 15 LCH की खरीद को दी मंजूरी, Apache से बेहतर

10 हेलीकॉप्टर वायुसेना के लिए और पांच भारतीय सेना के लिए होंगे. स्टील्थ क्षमता के कारण ये दुश्मन के रडार को आसानी से चकमा दे देंगे.

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Nihar Saxena
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15 साल की मेहनत के बाद एचएएल ने बनाया इतिहास.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का मेड इन इंडिया सिद्धांत तेजी से परवान चढ़ रहा है. रक्षा उपकरणों और हथियारों के मामले में अब तक दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश भारत लड़ाकू विमानों-हेलीकॉप्टर समेत हथियारों के मामले में खुद अपने पैरों पर खड़ा हो रहा है. इस कड़ी में पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता वाली सुरक्षा की कैबिनेट समिति ने 3,887 करोड़ रुपये की लागत से स्वदेश निर्मित 15 हल्के लड़ाकू (LCH) हेलीकॉप्टर की खरीद को मंजूर दे दी है. मंत्रिमंडल ने इसके साथ ही आधारभूत ढांचे के लिये 377 करोड़ रुपये भी आवंटित कर दिए हैं. ये हेलीकॉप्टर हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बनाए हैं. 

आत्मनिर्भर भारत की पहल को मजबूती
10 हेलीकॉप्टर वायुसेना के लिए और पांच भारतीय सेना के लिए होंगे. स्टील्थ क्षमता के कारण ये दुश्मन के रडार को आसानी से चकमा दे देंगे. साथ ही इस पर किसी फायरिंग का भी असर नहीं होगा. यह स्वदेश में डिजाइन, विकसित और निर्मित लड़ाकू हेलीकॉप्टर है. गौरतलब है कि अभी तक आयात की सूची में हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं. अब स्वदेश में ही निर्मित हेलीकॉप्टर से आत्मनिर्भर भारत की पहल को मजबूती मिलेगी. लड़ाकू विमानों के क्षेत्र में देश की आयात पर निर्भरता भी इससे काफी घटेगी. यह हेलीकॉप्टर अपनी रफ्तार, विस्तारित रेंज, उच्च ऊंचाई प्रदर्शन, सभी मौसमों में कारगर लड़ाकू क्षमता, डिस्ट्रक्शन ऑफ एनेमी एयर डिफेंस, काउंटर इंसरजेंसी की क्षमता से लैस है. यह थल सेना और वायु सेना की जरूरतों को पूरा कर सकेगा.

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आधुनिक विशेषताओं से लैस
प्राप्त जानकारी के अनुसार एचएएल द्वारा निर्मित हेलीकॉप्टर ग्लास कॉकपिट और कंपोजिट एयरफ्रेम संरचना जैसी कई प्रमुख विमानन खासियतों से भरपूर है, जिसे स्वदेश में ही बनाया गया है. भविष्य की श्रृंखला के उत्पादन संस्करण में और आधुनिक और स्वदेशी प्रणालियां शामिल होंगी. आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत, भारत रक्षा क्षेत्र में उन्नत अत्याधुनिक तकनीकों और प्रणालियों के स्वदेशी डिजाइन, विकास और निर्माण की अपनी क्षमता में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है.

कारगिल युद्ध में महसूस की गई थी एलसीएच की जरूरत
स्वदेश निर्मित यह हेलीकॉप्टर 1999 के कारगिल युद्ध में आई दिक्कतों को ध्यान में ऱख कर बनाए गए हैं. गौरतलब है कि कारगिल युद्ध् में ऊंचाई वाले पहाड़ों पर भारत को दिक्कत हुई थी. तभी से वजन में हल्के लेकिन उन्नत हेलीकॉप्टर की जरूरत महसूस की जा रही थी. इसके बाद ही 2006 से एचएएल ने एलसीएच हेलीकॉप्टर बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए थे. 6 टन वजनी यह हेलीकॉप्टर वजन में हल्का होने के कारण ऊंचाई वाली जगहों पर आसानी से मिसाइल हमला करने में सक्षम है. इसे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल मिस्ट्रल के लिए खास तौर पर बनाया गया है. इसमें 20 एमएम की गन लगी है, जो 110 डिग्री में किसी भी दिशा में घूम सकती है. यही नहीं इस हेलीकॉप्टर के पायलट के हेलमेट पर ही कॉकपिट के सभी फीचर्स डिसप्ले होते हैं.

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अमेरिकी अपाचे से भी बेहतर
रडार को चकमा देने की स्टील्थ क्षमता वाला यह हेलीकॉप्टर अमेरिकी अपाचे से बेहतर करार दिया जा रहा है.इस हेलीकॉप्टर पर फायरिंग का कोई असर नहीं होगा. स्वदेश निर्मित एलसीएच हेलीकॉप्टर का परीक्षण भारत के अलग-अलग मौसम में किया जा चुका है. यानी भीषण ठंड वाले सियाचिन ग्लेशियर से लेकर तपते गर्म राजस्थान के रेगिस्तान तक में. वजन में हल्का होने से भी इसे अपाचे से बेहतर करार दिया जा रहा है. 10 टन वजनी अपाचे कारगिल या सियाचिन की चोटी पर लैंडिंग और टेक ऑफ नहीं कर सकता, लेकिन एचएएल में निर्मित एलसीएच हेलीकॉप्टर उन जगहों पर भी पहुंच सकता है.

HIGHLIGHTS

  • सुरक्षा की कैबिनेट समिति ने 3,887 करोड़ रुपये की खरीद को दी मंजूरी
  • एलसीएच श्रेणी के हेलीकॉप्टर थल सेना औऱ वायु सेना के आएगा काम
  • अपाचे की तुलना में कारगिल-सियाचिन के दुर्गम इलाकों में उपयोगी
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