केन्द्र सरकार ने कहा है कि निजामुद्दीन मरकज मामले (Nizamuddin Markaz Case) में सीबीआई जांच की ज़रूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दायर हलफनामे केंद्र सरकार ने कहा, नियमों के मुताबिक रोजाना बेसिस पर जांच की जा रही है और इस मामले में समय से स्टेटस रिपोर्ट दायर कर ली जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने सरकार के हलफनामे पर जवाब देने के लिए समय मांगा. इस पर सुनवाई कर रही बेंच ने सुनवाई 2 हफ्ते के लिए टाल दी. मरकज मामले में केन्द्र सरकार ने पुलिस की लापरवाही के आरोप को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि विस्तृत रिपोर्ट दाखिल की जाएगी. मौलाना साद और मरकज के प्रबंधकों पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.
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जम्मू-कश्मीर की वकील सुप्रिया पंडिता ने निजामुद्दीन मरकज मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर अर्जी दायर की थी. अर्जी में पुलिस और दिल्ली सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा गया था कि कोरोना वायरस के खतरे के बीच लोगों को निजामुद्दीन मरकज में इकट्ठा होने दिया गया, जिससे लाखों लोगों की ज़िंदगी खतरे में पड़ गई.
इससे पहले खबर आई थी कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच, इनकम टैक्स और प्रवर्तन निदेशालय के बाद सीबीआई भी तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) के मुखिया मौलाना साद (Maulana Saad) पर सीबीआई कसने जा रही है. क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने बताया था कि सीबीआई ने मरकज मामले की डिटेल तलब की है, जो उन्हें उपलब्ध करा दी गई है. सीबीआई ने खुद क्राइम ब्रांच से संपर्क कर मौलाना साद और मरकज को होने वाली विदेशी फंडिंग और मरकज हेडक्वार्टर से जुड़ी इन्वेस्टिगेशन की पूरी जानकारियां साझा करने को कहा था.
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प्रवर्तन निदेशालय और इनकम टैक्स विभाग को भी मौलाना साद व मरकज़ केस की अहम जानकारियां क्राइम ब्रांच दे चुकी है, जिसके बाद मौलाना साद व मरकज़ पर मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया गया था.
Source : News Nation Bureau