अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मंगलवार को कहा कि मोदी सरकार ने सांप्रदायिकता और तुष्टीकरण की राजनीति की 'बीमारी' को खत्म किया है और इससे देश में स्वस्थ समावेशी विकास का माहौल बना है. यहां अंत्योदय भवन में मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन की 112वीं गवर्निग बॉडी और 65वीं आम सभा की बैठक में नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार 'इकबाल, इंसाफ और ईमान की सरकार' साबित हुई है. उन्होंने कहा सरकार 'समावेशी विकास, सर्वस्पर्शी विश्वास' के प्रति प्रतिबद्ध है.
ब्रिज कोर्स के जरिए शिक्षा और रोजगार जोड़ा जाएगा
नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों की स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों को देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के 'ब्रिज कोर्स' के जरिए शिक्षा और रोजगार से जोड़ा जाएगा. मंत्री ने कहा कि मदरसा शिक्षकों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम अगले महीने लांच किया जाएगा.
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केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि देश भर में बड़ी संख्या में मदरसे औपचारिक शिक्षा और मुख्यधारा की शिक्षा से जुड़े हुए हैं ताकि मदरसों के बच्चे भी समाज के विकास में योगदान दे सकें.
3E से होगा विकास
अल्पसंख्यकों विशेषकर लड़कियों का सामाजिक-आर्थिक-शैक्षिक सशक्तिकरण '3ई' यानी एजुकेशन (शिक्षा), एम्पलॉयमेंट (रोजगार) और एम्पावरमेंट (सशक्तिकरण) के जरिए किया जाएगा. इसमें प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक और मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति शामिल है, जो अगले पांच सालों तक पांच करोड़ विद्यार्थियों की दी जाएगी। इसमें 50 फीसदी छात्राएं होंगी.
उन्होंने कहा, 'इसमें आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए अगले पांच सालों तक 10 लाख से ज्यादा बेगम हजरत महल गर्ल्स स्कॉलरशिप दी जाएगी.'
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प्रधानमंत्री जन विकास केंद्र से किया जाएगा काम
नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री जन विकास केंद्र (पीएमजेवीके) के तहत स्कूल, कॉलेज, आईटीआई, पॉलिटेक्निक, गर्ल्स हॉस्टल, गुरुकुल के तरह के आवासीय विद्यालय, कॉमन सर्विस सेंटर का निर्माण युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. यह निर्माण उन क्षेत्रों में किया जा रहा है जहां अभी शैक्षिक बुनियादी ढांचा विकसित नहीं हुआ है.
पढ़ो-बढ़ो अभियान शुरू किया जाएगा
अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए देश भर में 'पढ़ो-बढ़ो' जागरूकता अभियान लांच किया जाएगा. यह उन इलाकों में शुरू किया जाएगा जहां लोग अपने बच्चों को सामाजिक-आर्थिक कारणों से स्कूल नहीं भेजते हैं.
Source : News Nation Bureau