मोदी सरकार (Modi Government) के समक्ष एक अभूतपूर्व संकट आन खड़ा हुआ है. यह संकट बाबुओं की कमी से जुड़ा है. इससे निपटने के लिए नौबत यह आ गई है कि कार्मिक मंत्रालय को विभिन्न राज्यों को पत्र लिखकर अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर भेजने को कहना पड़ा है. इस बाबत केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से एक आदेश के अनुसार उप सचिव, निदेशक और संयुक्त सचिव के स्तर पर और अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (Deputation) पर भेजने के लिए कहा है. कहा गया है कि केंद्र सरकार इन स्तरों पर अधिकारियों की कमी का सामना कर रही है.
राज्यों को भेजे गए पत्र का सार
प्राप्त जानकारी के मुताबिक कार्मिक मंत्रालय ने राज्य सरकारों से उन अधिकारियों का नाम भेजने के लिए नहीं कहा है जो पदोन्नति के कगार पर हैं. मंत्रालय की ओर से जारी पत्र में कहा गया है, 'यह सुनिश्चित किया जाए कि केवल उन्हीं अधिकारियों के नाम भेजे जाएं, जिनके पूरे कार्यकाल के लिए केंद्रीय कर्मचारी योजना (सीएसएस) के तहत उपलब्ध रहने की संभावना है. पत्र में आगे कहा गया है, 'यह अनुरोध किया जाता है कि केंद्रीय कर्मचारी योजना के तहत डीएस/निदेशक/जेएस स्तर पर नियुक्ति के लिए बड़ी संख्या में अधिकारियों की सिफारिश की जा सकती है ताकि इस उद्देश्य के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व/प्रतिनियुक्ति रिजर्व का विधिवत उपयोग किया जा सके.'
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पहले भी मांगे गए थे नाम, मिले नाममात्र
कार्मिक मंत्रालय के मुताबिक सीएसएस उप सचिव, उप निदेशक और उससे ऊपर के स्तर के अधिकारियों को केंद्र सरकार या केंद्र सरकार के विभागों के मंत्रालयों में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त करने की अनुमति देता है. कार्मिक मंत्रालय ने दिसंबर में राज्य सरकारों से सीएसएस के साथ-साथ मुख्य सतर्कता अधिकारियों (सीवीओ) और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) के पदों के लिए अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति के लिए कहा था. इसने अधिकारियों को केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में प्रतिनियुक्त करने की भी मांग की है. केंद्र ने कहा कि दिसंबर में जारी उसकी विज्ञप्ति के बाद जो नामांकन मिले हैं वे बहुत कम हैं. पत्र में कहा गया है, 'अब तक प्राप्त नॉमिनेशन की संख्या बहुत कम रही है. इस तरह विभिन्न संवर्गों या सेवाओं के अधिकारियों का प्रतिनिधित्व विशेष रूप से डीएस और निदेशक स्तर पर बेहद कम है.' इसने यह भी बताया कि सीएसएस के तहत काम करने से अधिकारियों का अनुभव बढ़ता है.
HIGHLIGHTS
- नौबत यह आ गई कि कार्मिक मंत्रालय को लिखना पड़ा पत्र
- राज्यों से मांगे गए नाम, साथ में दिए गए दिशा-निर्देश
- दिसंबर में भी मांगी गई थी सूची, मिले थे नाममात्र नाम