पूर्व भारतीय राजनयिकों ने अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण को भारत के लिए 'झटका' करार दिया है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की प्राथमिकता फिलहाल यह होनी चाहिए कि वहां से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला जाए. अफगानिस्तान में अमेरिका के समर्थन वाली सरकार सत्ता से बेदखल हो गई है. तालिबान ने सत्ता पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है. राष्ट्रपति अशरफ गनी रविवार शाम देश से बाहर भाग चुके हैं. ताजा घटनाक्रमों से अफगानिस्तान में पिछले दो दशकों के दौरान अमेरिका और उसके साझेदार देशों की ओर से किए गए प्रयासों का अप्रत्याशित अंत हो गया है.
भारत के लिए सामरिक संदर्भ में झटकाः अनिल बाधवा
भारत के इस पड़ोसी देश के इन घटनाक्रमों पर पूर्व भारतीय राजनयिकों ने चिंता जताई. साथ ही कहा कि भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला जाना चाहिए. साल 2017 में सेवानिवृत्त होने से पहले तक विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) रह चुके अनिल वाधवा का कहना है कि काबुल पर तालिबान का नियंत्रण भारत के लिए सामरिक संदर्भ में 'झटका' है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के संदर्भ में भारत को फिलहाल 'प्रतीक्षा करने और नजर बनाए रखने' की रणनीति पर अमल करना चाहिए.
आईएसआई का है तालिबान पर नियंत्रण
वाधवा के मुताबिक शुरुआती संकेतों से लगता है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई इस वक्त हक्कानी नेटवर्क के जरिये तालिबान पर नियंत्रण किए हुए है. उन्होंने कहा कि भारत का आगे का कदम इस बात पर निर्भर करेगा कि तालिबान भविष्य में कैसे व्यवहार करेगा और क्या वह आतंकी हमलों के लिए अफगानिस्तान का उपयोग करेगा. वाधवा ने यह भी कहा कि आने वाले समय में भारत को संवाद का रास्ता भी खोलना होगा। हालांकि, फिलहाल प्राथमिकता भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने पर होनी चाहिए.
अपने नागरिकों को सुरक्षित निकाले भारतः राकेश सूद
अफगानिस्तान में भारत के राजदूत रह चुके राकेश सूद ने भी यही राय रखी. उन्होंने कहा कि फिलहाल भारत सरकार की प्राथमिकता अपने उन नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होनी चाहिए जो अफगानिस्तान में हैं. उनके मुताबिक, भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने के बाद अगर जरूरी हो तो काबुल में भारतीय दूतावास को स्थिति सामान्य होने तक बंद कर दिया जाए क्योंकि अभी वहां पूरी तरह से राजनीतिक शून्यता है.
भारत दखल न दे अफगानिस्तान मेंः राघवन
इस्लामाबाद में भारत के उच्चायुक्त रह चुके टीसीए राघवन का कहना है कि तालिबान का अफगानिस्तान में नियंत्रण करना भारत के लिए झटका है. उन्होंने कहा, 'यह झटका है. हमें इसे ठीक करने का प्रयास फिलहाल नहीं करना चाहिए क्योंकि सैद्धांतिक रूप से पिछले 20 साल से अफगानिस्तान में जो सरकार और व्यवस्था थी वो हमारे बहुत नजदीक थी. तालिबान पाकिस्तान के बहुत नजदीक है.' कई देशों में भारत के राजनयिक रह चुके जी पार्थसारथी ने कहा कि अफगानिस्तान में जो हुआ है वह अमेरिका की कई नीतियों के चलते हुआ है. उन्होंने कहा कि फिलहाल प्राथमिकता भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की होनी चाहिए.
HIGHLIGHTS
- तालिबान पर पाकिस्तान का नियंत्रण गंभीर खतरा
- भारत ने करे अफगान स्थिति बदलने के प्रयास
- सामरिक लिहाज से भारत के लिए बड़ा झटका