उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित कई राज्यों में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ी तैयारी की है. केंद्र सरकार की तरफ से एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने के संकेत मिल रहे हैं. खुद बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने आलाकमान को इसे लेकर सुझाव दिया था. सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार ने इस कानून को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान पिछले 10 महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं.
यह भी पढ़ेंः कैप्टन को मिला अनिल विज का साथ, सिद्धू को बताया पाकिस्तान समर्थक
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले हो सकता है ऐलान
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर यूपी, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के किसान पिछले 10 महीने से धरने पर बैठे हैं. वहीं 2022 में मार्च तक उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं. वहीं उसके बाद गुजरात में भी चुनाव होने हैं. बीजेपी के किसान नेता पहले ही आलाकमान को कृषि कानूनों को लेकर किसानों से मिल रहे इनपुट का जानकारी दे चुके हैं. आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने भी एमएसपी पर गारंटी कानून बनाए जाने की हिमायत की है. इस बीच केंद्र सरकार की तरफ से एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने के संकेत मिल रहे हैं.
यह भी पढ़ेंः दिग्विजय सिंह बोले - खतरा हिंदू-मुसलमान को नहीं मोदी और ओवैसी को है
किसान कर रहे एमएसपी को लेकर कानून की मांग
किसान नेताओं का कहना है कि स्वामीनाथन आयोग द्वारा दिए गए सी2 फार्मूले को ही मान्य करेंगे. दरअसल एमएसपी का आंकलन करने वाले कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने खेती की लागत के तीन वर्ग बनाए हैं. ए2, ए2 प्लस एफएल और सी2. ए2 फार्मूले में फसल उत्पादन के लिए किसानों द्वारा बीज, खाद, ईंधन और सिंचाईं की लागत शामिल होती है. ए2 प्लस एफएल फार्मूले में खर्च के साथ फसल उत्पादन लागत में किसान परिवार का अनुमानित मेहनताना भी जोड़ा जाता है. वहीं, सी2 फार्मूले में खेती के व्यावसायिक मॉडल को अपनाया गया है. इसमें कुल नकद लागत और किसान के पारिवारिक पारिश्रमिक के अलावा खेत की जमीन का किराया और कुल कृषि पूंजी पर लगने वाला ब्याज भी शामिल किया जाता है.
HIGHLIGHTS
- 10 महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान
- केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का हो रहा विरोध
- अगले साल कई राज्यों में होने हैं विधानसभा चुनाव