केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील की न्यायिक समीक्षा का विरोध किया. केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, यह मामला विशेषज्ञों को देखना चाहिए, न कि न्यायपालिका को. वेणुगोपाल ने कहा, ‘प्राइसिंग डिटेल पहले ही सीलबंद कवर में कोर्ट को सौंपी जा चुकी है. लेकिन इंटर गवर्नमेंट एग्रीमेंट के अनुसार, कुछ मामलों में सबकुछ बताना संभव नहीं है. उन्होंने कहा, एयरक्राफ्ट के मूल्य को लेकर गोपनीयता का कोई क्लॉज नहीं है, बल्कि यह एयरक्राफ्ट की खूबियों को लेकर है. राफेल का मूल्य इसके फीचर के हिसाब से तय किए गए हैं, जो कोर्ट में रखा जा चुका है. उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट इसकी न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकती, क्योंकि दुश्मन देश को इसकी खूबियों के बारे में पता चल जाएगा.’
Rafale Jet Deal Case: AG KK Venugopal appearing for the Centre tells SC that secrecy is not on the price of aircraft but on weaponry & avionics.The price of Rafale with break up of weapons&avionics has been shared with the Court, but Court cannot sit in judicial review on it.
— ANI (@ANI) November 14, 2018
सुप्रीम कोर्ट राफेल डील को लेकर दायर हुईं याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. कोर्ट ने सीलबंद कवर में सरकार से कुछ जानकारियां मांगी थी, जिसे केंद्र ने उपलब्ध करा दिया था. बुधवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने डील में बहुत खामियां गिनाईं और मामला पांच जजों की संविधान पीठ को भेजने की मांग की. कॉमन कॉज के प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अरुण शौरी की ओर से पेश होते हुए कहा, सरकार संसद में दो बार एयरक्राफ्ट की कीमत बता चुकी है, फिर यहां सरकार कीमत को लेकर गोपनीयता की बात क्यों कर रही है.
अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भूषण की बात का विरोध करते हुए कहा, कीमत को लेकर कोई गोपनीयता की बात नहीं है. गोपनीयता केवल एयरक्राफ्ट के फीचर को लेकर है और मूल्य उसके फीचर के हिसाब से तय किए गए हैं. संसद में जो मूल्य बताए गए, वह एयरक्राफ्ट के आधार मूल्य थे.
इस पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, ‘राफेल डील की कीमत पर चर्चा तभी होगी, जब कोर्ट चाहेगा कि इसके सार्वजनिक होने से कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने अटार्नी जनरल से पूछा, ‘क्या कोर्ट में एयरफोर्स का कोई अधिकारी उपस्थित है, जो सवालों का जवाब दे सके. आखिरकार यह डील एयरफोर्स से ही संबंधित है. एयरफोर्स के अफसर से इस डील पर सवाल पूछना ज्यादा अच्छा रहेगा.’