लगातार हो रहे रेल हादसों को देखते हुए रेल मंत्रालय ने पटरियों की जांच के लिए इस्तेमाल की जा रही सभी ट्रालियों में जीपीएस ट्रैकर लगाने का फ़ैसला किया है। इन ट्रालियों को पटरी पर हाथ से धकेल कर चलाया जाता है और रेल के आने से पहले ये सुनिश्चित किया जाता है कि ट्रैक ठीक है कि नहीं।
6 सितंबर को रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे को एक पत्र भेज कर ये ताकित किया है कि एक महीने के अंदर उस प्रणाली को पूरी कर ली जाए।
पत्र में ये निर्देश दिया गया है कि सभी ट्रालियों के लिए अलग-अलग नंबर निर्धारित की जाए, जिससे पटरियों की सुरक्षा जांच प्रभावी तरीके से हो सके। साथ ही एक महीने के अंदर ट्रालियों पर जीपीएस ट्रैकर लगाने का काम पूरा कर लिया जाए।
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ज़ाहिर है कि पिछले कुछ महीनों में कई बड़े रेल हादसे हुए हैं। इन रेल हादसों की वजह से ही सुरेश प्रभु ने इस्तीफ़ा दिया था और उनकी जगह पिछले रविवार को मंत्रिपरिषद में हुए फेरबदल में पीयूष गोयल को रेल मंत्री बनाया गया।
सूत्रों का मानना है कि ऐसी प्रणाली विकसित करने से यह सुनिश्चित हो पाएगा कि सेक्शन इंजीनियर नियमित रूप से निगरानी कर रहे हैं कि नहीं। साथ ही मरम्मत कार्यों का भी समूचित रूप से जायज़ा लिया जा सकेगा।
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Source : News Nation Bureau