जब आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को कोई गंभीर बीमारी हो जाती है तो सबसे बड़ी परेशानी जो उनके सामने आती है वो है इलाज में खर्च होने वाला पैसा. लेकिन अब लोगों की ये परेशानी कुछ कम हो सकती है. दरअसल मोदी सरकार राष्ट्रीय अरोग्य निधि के तहत कुछ अस्पतालों को फंड जारी करती है. इसका फायदा आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को होता है.
दरअसल राष्ट्रीय आरोग्य योजना के तहत कोई भी गरीब शख्स अपना इलाज करवा सकता है. हालांकि इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज पेश करने होते हैं.
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किन दस्तावेजों की होती है जरूरत
इन दस्तावेजों में सरकारी अस्पताल के उपचार करने वाले डॉक्टर के हस्ताक्षर के साथ मेडिकल सुपरिटेंडेंट के भी आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर, इनकम सर्टिफिकेट की कॉपी, गरीबी रेखा से नीचे का कागज और राशन कार्ड की कॉपी भी शामिल है.
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गरीबी रेखा से नीचे आने वाले लोगों के लिए ये सुविधा इस वक्त अलग-अलग राज्यों के 13 केंद्रीय अस्पतालों में उपलब्ध है. इनमें नई दिल्ली का एम्स, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल शामिल है. इसके अलाव चंडीगढ़ के स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान ससंस्थान, लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और गांधी मेमोरियल और एसोसिए़़टेड हाॉस्पिटल पुडुचेरी के जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान, कोलकाता के चितरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, शिलांग के पूर्वोत्तर इंदिरा गांधी क्षेत्रीय स्वास्थ्य एवं आयुर्विज्ञान संस्थान, इम्फाल के क्षेत्रीय आयु्र्विज्ञान संस्थान और श्रीनगर के शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान में भी ये सुविधा उपलब्ध है.
Source : News Nation Bureau