मोदी सरकार अगर यह कदम पहले उठा लेती... तो बच जाते आर्यन खान

बीते हफ्ते हुई बैठक में विभिन्‍न विभागों के प्रतिनिधियों ने एनडीपीएसए कानून में बदलाव की जरूरतों पर चर्चा की.

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Nihar Saxena
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Aryan Khan

आर्यन खान के ड्रग केस में पकड़े जाने पर हो रही है राजनीति.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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बॉलीवुड के बादशाह खान शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) को क्रूज ड्रग मामले में जेल में लगभग तीन हफ्ते रहने के साथ ही काफी फजीहत का सामना करना पड़ रहा है. यह अलग बात है कि मोदी सरकार (Modi Government) अब जो कदम उठाने जा रही है, अगर वह पहले ही उठा लिया जाता तो आर्य़न बच जाते. सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि केंद्र सरकार छोटी मात्रा में ड्रग्‍स, नारकोटिक्‍स या अन्‍य नशीले पदार्थों के निजी सेवन को अपराध के दायरे से बाहर करने पर गंभीरता से विचार कर रही है. यही नहीं, मंत्रालयों के बीच इस बात को लेकर आम सहमति भी बन चुकी है. इस सहमति के अनुरूप अब नारकोटिक, ड्रग्‍स एंड साइकोट्रोपिक सबस्‍टेंसेज एक्‍ट, 1985 (NDPSA) की धारा 27 में संशोधन किया जाएगा. खासतौर से पहली बार इस श्रेणी में अपराध के लिए. इसके साथ ही मादक पदार्थों का सेवन करने वालों की संख्‍या कम करने के लिए 30 दिन के रीहैबिलिटेशन और डी-एडिक्‍शन प्रोग्राम को लांच किया जा सकता है.

एनडीपीएसए कानून में बदलाव पर बनी सहमति
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते हफ्ते हुई बैठक में विभिन्‍न विभागों के प्रतिनिधियों ने एनडीपीएसए कानून में बदलाव की जरूरतों पर चर्चा की. इस चर्चा के बाद आने वाले कुछ दिन में इन सुझावों को औपचारिक रूप दिया जा सकता है. बैठक में विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों ने यह महसूस किया कि निजी इस्‍तेमाल करते पाए जाने पर यूजर्स का डी-एडिक्‍शन और रीहैबिलिटेशन प्रोग्राम में हिस्‍सा लेना सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा जाए. इसके साथ ही वित्‍त मंत्रालय का राजस्‍व विभाग उन कड़े कानूनों में संशोधन पर विचार कर रहा है जिनके जरिए अवैध ड्रग्‍स व्‍यापार पर काबू और जब्‍ती होती है. इनमें समझौता-रहित जेल की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है. एनडीपीएस एक्ट को अमल में लाने वाले वित्‍त मंत्रालय ने बाकी मंत्रालयों को भी चर्चा में शामिल किया है. गौरतलब है कि सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय के अलावा स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय भी ड्रग्‍स की समस्‍या से जूझ रहे हैं.

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अभी ये है सजा का प्रावधान
सामाजिक न्‍याय मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि छोटी मात्रा में ड्रग्‍स के साथ पकड़े गए लोगों और उनके परिवारों संग 'पीड़‍ित' की तरह व्‍यवहार हो, न कि अपराधियों की तरह. प्रस्‍तावित संशोधनों में ऐसे लोगों को जेल या जुर्माने की जगह इलाज और रीहैबिलिटेशन अनिवार्य किए जाने का सुझाव भी है. फिलहाल एनडीपीएसए की धारा 27 के तहत ड्रग्‍स के सेवन पर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना या फिर छह महीने की जेल या फिर दोनों हो सकता है. इन प्रस्‍तावित संशोधनों का मकसद सजा की ढांचे को 'तार्किक' बनाना है. ड्रग्‍स ट्रैफिकिंग में शामिल लोगों को कड़ी सजा हो, मगर लती और कम गंभीर अपराध करने वालों को हल्‍की सजा मिले या फिर उन्‍हें रीहैबिलिटेट किया जाए. बैठकों में यह सुझाव भी दिया गया कि बार-बार अपराध में लिप्‍त लोगों के लिए जमानत की प्रक्रिया और कड़ी कर दी जाए. इसके साथ ही नारकोटिक फसलों की अवैध खेती को नष्‍ट करने के लिए आधुनिक तकनीक के इस्‍तेमाल का भी सुझाव रखा गया. इसके जरिये ऐसी तकनीक को अमल में लाया जा सकता है कि संबंधित जमीन पर वह फसल दोबारा पैदा ही नहीं की जा सके.

HIGHLIGHTS

  • मोदी सरकार कर रही है एनडीपीएस एक्ट में अहम बदलाव पर विचार
  • अपराध के दायरे से पर्सनल ड्रग्‍स यूज को किया जा सकता है बाहर
  • अभी 10 हजार रुपये जुर्माना या 6 महीने की जेल या दोनों की सजा
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