मोदी सरकार लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र सीमा में बदलाव करने पर पुनर्विचार कर रही है. सरकार का मानना है कि इस फैसले से मातृ मृत्युदर (maternal mortality) में कमी आएगी. केंद्र सरकार इसके पीछ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के एक आदेश को वजह बता रही है. सरकार के इस फैसले के बाद शादी की न्यूनतम आयु 18 से बढ़ाकर 21 की जा सकती है. इस फैसले से लड़कियों के जीवन में कई बदलाव आएंगे.
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पीएम मोदी ने लालकिले से दिए संकेत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले से दिए भाषण में कहा कि बेटियों की शादी के लिए न्यूनतम आयु पर पुनर्विचार करने के लिए समिति का गठन किया है. समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद हम उचित निर्णय लेंगे. इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अपने पिछले बजट भाषण में कहा था कि महिला के मां बनने की सही उम्र के बारे में सलाह देने के लिए एक टास्क फोर्स बनाई जाएगी.
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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर छोड़ा था फैसला
दरअसल सरकार के इस निर्णय के पीछे सुप्रीम कोर्ट का अक्टूबर 2017 में आया एक फैसला था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वैवाहिक बलात्कार (marital rape) से बेटियों को बचाने के लिए बाल विवाह पूरी तरह से अवैध माना जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था इस मामले में सरकार खुद फैसला ले कि लड़कियों की शादी की उम्र में कोई बदलाव चाहती है या नहीं. माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले को लेकर सरकार ने कवायद शुरू की है.
Source : News Nation Bureau