केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत पीपीपी मॉडल को बढ़ावा देने की कोई योजना नहीं है. राज्यसभा में बीते शुक्रवार को हुए अतारांकित सवाल के जवाब में ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह बात खारिज कर दी कि प्रधानमंत्री आवास योजना में सार्वजनिक निजी भागीदारी(पीपीपी) को बढ़ावा देने की कोई योजनां है. सरकार के अनुसार यह योजनों ग्रामीण भारत के विकास में अहम योगदान दे सकती हैं. मोदी सरकार ने वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना(ग्रामीण) शुरू की थी.
भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 5 फरवरी को एक अतारांकित सवाल में पूछा था ष्क्या केंद्र सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत किफायती आवास उपलब्ध करवाने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी(पीपीपी) को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है. क्या अभी तक निजी कंपनियों के साथ की गईं ऐसी साझेदारी का ब्यौरा क्या है.
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इस सवाल का लिखित में जवाब देते हुए ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि राज्यों में प्रधानमंत्री आवास योजना.ग्रामीण के क्रियान्वयन के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी पर विचार करने के लिए फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है. ऐसे में निजी कंपनियों के साथ साझेदारी का सवाल ही नहीं खड़ा होता.इसके तहत केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को घर बनाने के लिए मदद देती है.समतल भूमि पर घर बनाने के लिए केंद्र सरकार 1,20, 000 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है, तो पहाड़ी इलाके में पक्के घर के लिए 1,30 ,000 रुपए की आर्थिक सहायता सरकार दे रही है.
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पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत आवेदन करने के लिए सरकार ने मोबाइल आधारित आवास एप बनाया है. इसे गूगल के प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. डाउनलोड करने के बाद आपको मोबाइल नंबर की सहायता से इसमें लॉग.इन आईडी बनानी होगी. इसके बाद यह एप आपके मोबाइल नंबर पर एक वन टाइम पासवर्ड भेजेगा. इसकी मदद से लॉगिन करने के बाद आवश्यक जानकारियां भरें. पीएमएवाई.जी के तहत घर पाने के लिए आवेदन करने के बाद केंद्र सरकार लाभार्थियों का चुनाव करती है. इसके बाद लाभार्थियों की फाइनल लिस्ट पीएमएवाई.जी की वेबसाइट पर डाल दी जाती है.
HIGHLIGHTS
- पहाड़ी इलाके में पक्के घर के लिए 1,30 ,000 रुपए की आर्थिक सहायता
- आवेदन करने के लिए सरकार ने मोबाइल आधारित आवास एप बनाया
- लाभार्थियों की फाइनल लिस्ट पीएमएवाई.जी की वेबसाइट पर डाल दी जाती है