केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने नेटफ्लिक्स (Netflix), अमेजान प्राइम वीडियो (Amazon Prime) और डिजनी-प्लस हाटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफार्म के साथ ही अन्य समायिक मामलों पर समग्री उपलब्ध कराने वाले आनलाइन समाचार पोर्टलों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाने को मंजूरी दी है. मंत्रालय को इन क्षेत्रों को नीति एवं नियमन का भी अधिकार दिया गया है. अब तक देश में डिजिटल सामग्री क्षेत्र पर नजर रखने अथवा उसका परिचालन करने वाली कोई भी कानून अथवा स्वायतशासी संस्था नहीं थी.
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तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएंगे नियम
मंत्रिमंडलीय सचिवालय द्वारा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर वाली मंगलवार रात जारी अधिसूचना के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 77 के उपलबंध (3) के तहत प्रदप्त अधिकारों के अधीन भारत सरकार के (कामकाज आवंटन) नियम 1961 में संशोधन का निर्णय लिया गया है. यह तुरत प्रभाव से प्रभाव में आ जाएगा. इस नियम को भारत सरकार (कामकाज का आवंटन) 357वां संशोधन नियम 2020 नाम से जाना जाएगा. ये नियम तुरंत प्रभाव से लागू हो जाएंगे. इसके साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को आनलाइन प्लेटफार्म पर उपलब्ध होने वाले समाचार, श्रव्य, दृश्य सामग्री और फिल्म के नियमन का अधिकार प्राप्त हो गया है. उच्चतम न्यायालय ने एक स्वायत्तशासी संस्था द्वारा ओवर दि टाप (ओटीटी) प्लेटफार्म के नियमन को लेकर दायर जनहित याचिका पर केन्द्र सरकार से जवाब मांगा था. उसके एक माह के भीतर ही सरकार की ओर से यह निर्णय लिया गया है.
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सरकार के इस निर्णय के बाद यह कहा गया है कि सभी तरह के ओटीटी प्लेटफार्म नियमों और नियमन के तहत आ जायेगी. यह क्षेत्र अब तक बिना नियमन के ही चल रहा था. इससे पहले जनवरी 2019 में आठ वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाओं ने स्व- नियमन संहिता पर हस्ताक्षर किये थे. इसके साथ ही इस तरह के प्लेटफार्म पर सामग्री के लिये सैद्धांतिक दिशानिर्देश का एक सेट तैयार कर लिया गया. हालांकि, सरकार ने इस संहिता को समर्थन देने से इनकार कर दिया. वर्तमान में भारतीय प्रेस परिषद प्रिंट मीडिया का नियमन करती है. वहीं, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसियेसन (एनबीए) समाचार चैनलों का प्रतिनिधित्व करती है. भारतीय विज्ञापन मानक परिषद विज्ञापनों के नियमनों का काम करती है. वहीं केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड, फिल्मों पर नजर रखता है.