कांग्रेस सहित देश के 22 विपक्षी दलों ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में अम्फान तूफान (Cyclone Amphan) से हुए जानमाल के भारी नुकसान पर दुख जताते हुए शुक्रवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इसे तत्काल राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दोनों राज्यों की मदद की जाए. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हुई विपक्षी दलों की बैठक में ‘अम्फान’ के कारण मारे गए लोगों की याद में कुछ पल के लिए मौन रखा गया.
इस बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया और अम्फान चक्रवात में मारे गए लोगों के लिए अपनी संवेदनाएं प्रकट की. राहुल गांधी ने इस बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने लॉकडाउन की दो प्रमुख वजहें बताईं पहला देश में तेजी से हो रहे कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकना और दूसरा आने वाली इस बीमारी से लड़ने के उपाय खोजना. लेकिन आज सरकार दोनों ही मामलों में फेल रही. देश में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है.
यह भी पढ़ें-साइक्लोन 'अम्फान' से तबाह ओडिशा को पीएम मोदी देंगे सहारा, 500 करोड़ के पैकेज की घोषणा
अब सरकार लॉकडाउन खोल रही है इसका मतलब साफ है कि सरकार ने लॉकडाउन का फैसला बिना सोचे समझे लिया था यह अचानक से लिया गया फैसला था जिसके सही नतीजे नहीं आए. देश में आज कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता ही जा रहा है. लॉकडाउन से कोरोड़ों लोगों को भारी नुकसान हुआ है. अगर आज उनकी मदद नहीं की, उनके खातों में ₹7,500 नहीं डाला, अगर राशन का इंतज़ाम नहीं किया, अगर प्रवासी मज़दूरों, किसानों और MSMEs की मदद नही की तो देश में आर्थिक तबाही हो जाएगी.
यह भी पढ़ें-लालू के लाल तेजप्रताप बने कोरोना वॉरियर्स, मजदूरों में बांटा खाद्य सामग्री और सुरक्षा किट
राहुल गांधी यहीं पर चुप नहीं हुए उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि लाखों करोड़ों का सरकार का पैकेज ये बात ऐक्सेप्ट ही नही करता। लोगों को क़र्ज़ की जरूरत नहीं पर सीधे मदद की आवश्यकता है. हमारी जुम्मेवारी है की हम सब आवाज़ उठाएं ये देश का सवाल है, दलों का नहीं अगर ऐसा नहीं हुआ तो करोड़ों लोग गरीबी के जाल में उलझ जाएंगे. राहुल गांधी ने एक और ज़रूरी बात कही कि, कोरोना से लड़ाई ज़िलों व प्रांतों में लड़ी जा रही है केंद्र नेतृत्व कर सकता है. लेकिन जैसे केंद्र को राज्य सरकारों की मदद करनी चाहिए थी, केंद्र ने वैसा नहीं किया. ये राजनीति नहीं देशहित में सच मानने की बात है और प्रान्तों को ताक़त व आर्थिक मदद देने की.