चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक करीब 500 गांव वीरान हैं. इन गांवों को नए सिरे से आबाद करने के लिए केंद्र सरकार ने मेगा प्लान तैयार किया है. इन गांवों में बुनियादी सुविधाओं के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. इसके लिए यहां बसने के इच्छुक लोगों से दोबारा संपर्क किया जा रहा है. सरकार यहां आवास बनाने और पर्यटन सुविधा बढ़ाने के साथ ही आसपास ही नौकरियां देने की तैयारी में हैं, ताकि इनका पलायन न हो. इन गांवों को बसाने का दूसरा फायदा ये होगा कि यह देश के लिए दूसरी सुरक्षा पंक्ति का काम करेंगे.
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रिपोर्ट्स में प्रोजेक्ट से जुड़े सेना के अधिकारियों की ओर से कहा गया है कि इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट तैयार हो चुकी है. चिकित्सा और शिक्षा सुविधाओं के साथ मॉडल आवास बनाने के लिए सेना और सीमा बलों को स्थानीय सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर काम करना होगा.
सभी गांवों में कम से कम एक प्राथमिक विद्यालय होगा. स्कूल परिसर में शिक्षकों के लिए आवासीय क्वार्टर बनाए जाएंगे. केंद्रीय गृह मंत्रालय की योजना है कि एलएसी के साथ वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाए. पुनर्विकास खर्चों को पूरा करने के लिए 2022-23 के वार्षिक बजट में सीमा प्रबंधन के लिए मंत्रालय ने 1921.39 करोड़ रुपए आवंटित किए थे. इसे 43% बढ़ाकर 2517 करोड़ रुपए कर दिया गया है.
अधिकारियों का कहना है कि एलएसी के साथ 500 से अधिक वीरान गांव हैं. इन गांवों को छोड़ दिया गया है या सीमित संपर्क के साथ विरल आबादी है. भारतीय अधिकारियों ने स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का वादा करते हुए सीमा से लगे इन सैकड़ों गांवों के निवासियों से लौटने के लिए संपर्क करना शुरू कर दिया है. सीमावर्ती क्षेत्रों के ग्रामीण सेना या भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के बाद रक्षा की दूसरी पंक्ति हैं. सरकार अब पहाड़ी केंद्रित आजीविका और पर्यटन के अवसरों की पेशकश के साथ इन क्षेत्रों के पुनर्निर्माण की योजना बना रही है.
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एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में गांव एलएसी से काफी दूर स्थित हैं. कई जगहों पर लोग आजीविका की तलाश में दूसरे क्षेत्रों के शहरों में चले गए हैं. हिमाचल प्रदेश में ऐसे गांवों में रिवर्स माइग्रेशन नहीं देखा गया है. ग्रामीण निचली पहाड़ियों में बस गए हैं या मैदानी इलाकों की ओर और नीचे चले गए हैं.
चीन ने लगभग 680 शियाओकांग का निर्माण किया है, जिसे वे सीमाओं के पार 'संपन्न' गांव कहते हैं. ये सैन्य उपयोग के साथ-साथ नागरिक प्रतिरोध की दूसरी पंक्ति के लिए हैं. अधिकारियों ने आवास और पर्यटन केंद्रों, सड़कों के निर्माण और विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा के प्रावधान, दूरदर्शन और शैक्षिक चैनलों के साथ-साथ रोजगार के साधनों के लिए सीधे-से-घर तक पहुंच की योजना बनाई है.