मानसून सत्र के आखिरी सप्ताह में मोदी सरकार कई अहम बिलों को लोकसभा में पेश करने की तैयारी में है. सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार सोमवार को राज्यों को ओबीसी सूची बनाने का अधिकार देने वाला 127वां संविधान संशोधन विधेयक पेश करेगी. संसद में पेगासस मामले को लेकर विपक्ष का हंगमा जारी है. इसी बीच अगर सरकार ओबीसी से जुड़ा बिल संसद में लाती है तो इसे मंजूरी मिले में कोई परेशानी नहीं होगी. अगले साल कई राज्यों में होने वाले चुनाव को देखते हुए विपक्ष के इस बिल का विरोध करने के आसार कम ही हैं.
मोदी कैबिनेट ने दी थी मंजूरी
हाल ही में इस विधेयक को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दी थी. सरकार इस विधेयक को तब लाई है जब मई में उच्चतम न्यायालय ने अपने एक फैसले में राज्यों के ओबीसी सूची तैयार करने पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद यह विधेयक लाया जा रहा है. इससे राज्यों को दोबारा यह अधिकार मिल सकेगा.
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लोकसभा में पेश होंगे 6 विधेयक
मानसून सत्र के आखिरी सप्ताह में सरकार की मंशा अधिक से अधिक विधेयक पास कराने पर होगी. सोमवार को लोकसभा में कुल छह विधेयक पेश किए जाने हैं. इनमें ओबीसी आरक्षण विधेयक के अलावा लिमिटेड लाइबिलीटी पाटर्नरशिप बिल, डिपॉजिट एवं इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी बिल, नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी बिल, नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन बिल और द कॉन्स्टीट्यूशन एमेंडमेंट शिड्यूल ट्राइब्स ऑर्डर बिल शामिल हैं. इसके अलावा राज्यसभा में चार विधेयक लाए जाएंगे, जो पहले ही लोकसभा से पारित हो चुके हैं.
ओबीसी आरक्षण बिल का क्या होगा असर?
संसद के अगर यह विधेयक पास होता है तो संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366(26) सी के संशोधन के बाद राज्यों के पास ओबीसी सूची में अपनी मर्जी से जातियों को अधिसूचित करने का अधिकार होगा. इस कानून के बनने से महाराष्ट्र में मराठा समुदाय, हरियाणा में जाट समुदाय, गुजरात में पटेल समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल होने का मौका मिल सकता है.
HIGHLIGHTS
- सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से छीना का सूची तैयार करने का अधिकार
- कानून का महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक पर होगा सीधा असर
- विपक्ष के इस विधेयक का विरोध करने के आसार कम